Book Title: Subodhi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1
________________ ...:.. .. . * आभार अद्यपि रत्नत्रय, धर्म के प्रतिपादक और मिथ्यात्व के निबंधक अनेकों अन्य जैन सरस्वती भंडारों में मौजूद हैं, परन्तु प्रत्येक नर नारी न.तो उन को पढ़ते ही हैं और न उनका रहस्य ही समझते हैं। इसलिए जैन मित्र मण्डल देहली की प्रेरणा से श्रीयुक्त धर्मरत्न पंडित दीपचन्द जी वर्णी परवार नरसिंहपुर (सी० पी०) निवासी वर्तमान अधिष्ठाता श्री. ऋषभब्रह्मचर्याश्रम चौरासी (मथुरा) ने जो यहाँ सुबोधिदर्पण संक्षेप और सरल भाषा में खुलासाबार लिखा है, सो गृही जनों को बहुत उपयोगी होगा। इसके पढ़ने पढ़ाने व प्रचार होने से जीवों का मिथ्यात्व से छुटकारा होकर वे सन्मार्ग में (अर्थात् सच्चे देव शास्त्र गुरु को पहिचान कर तथा उन पर श्रद्धा करके उनके बताये हुए मोस मार्ग में लग कर अपना प्रारम हित करेंगे, ऐसा विचार करके हमारे यहाँ । लाकरोदा) के सज्जनों ने निम्न प्रकार से सहायता देकर इसे प्रकाशित कराया है। अतएव हम उनके इस धर्म प्रेम के लिए हृदय से भारी हैं और जो सज्जन इस को पढ़कर औरों को समझायेंगे उन के भी अत्यन्त प्रभारी होंगे प्रभावनानुसगी-- - कोटड़िया मीठालाल वैणीचन्द्रः, सहायक सज्जनों के शुम नाम । १०) समस्त दि जैन पंचलाकरोदा :६) दोषी देवचन्द्र हाथीचन्द्र ८) कोटड़िया, सोमचन्द्र उगरचन्द्र .३५) शा. नेमचन्द्र रायचन्द्र ६) नेमचन्द्र रउचन्द्रः ३.)., मगनलाल कालीदास चुन्नीलाल रउचन्द्र ), मीठालाल लालचन्द्र : - हेमचन्द्र कस्तूरचन्द्र ), हेमचन्द्र लखमीचन्द्र : ४) वैणीचन्द्र हाथीचन्द्र ), पदमसी जीवराज ४) माणिकचन्द्र हाथीचन्द्र शा) दोषी रउचन्द्र नानचन्द्र ) गाँधी जीवराज बालचन्द्र ), सोमचन्द्र नानचन्द्र 1) शा. पदमसी अमरचन्द्रः ।। .... . . . . . . . . . ५.. . . . t , . .

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