Book Title: Sthanangsutram Part 01
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
श्रीस्थानाङ्गसूत्रवृत्तिः
॥२२३॥
सर्वं, आदेशनमादेशः-उपचारो व्यवहारः स च बहुतरे प्रधाने वा आदिश्यते देशेऽपि यथा विवक्षितं घृतमभिस-
I४ स्थाना. मीक्ष्य बहुतरे भुक्ते स्तोके च शेषे उपचारः क्रियते-सर्वं घृतं भुक्तं, प्रधानेऽप्युपचारः यथा ग्रामप्रधानेषु गतेषु पुरु-18 उद्देशः२ षेषु सो ग्रामो गत इति व्यपदिश्यते इति, अत आदेशतः सर्वमादेशसर्वं उपचारसर्वमित्यर्थः, तथा निरवशेषतया मानुषोत्त|-अपरिशेषव्यक्तिसमाश्रयण सर्व निरवशेषसर्च, यथा-अनिमिषाः सर्वे देवाः, न हि देवव्यक्तिरनिमिषत्वं काचिद् रकूटाः दु
व्यभिचरतीत्यर्थः, सर्वत्र ककारः स्वार्थिको द्रष्टव्यः । अनन्तरं सर्व प्ररूपितं तत्प्रस्तावात् सर्वमनुष्यक्षेत्रपर्यन्तव- प्षमसुष|र्तिनि पर्वते सर्वासु तिर्यग्दिक्षु कूटानि प्ररूपयन्नाह
मावर्षादि माणुसुत्तरस्स णं पव्वयस्स चउदिसिं चत्तारि कूडा पं० तं०-रयणे रतणुच्चते सव्वरयणे रतणसंचये (सू० ३००)
सू०३००जंबुद्दीवे २ भरहेरवतेसु वासेसु तीताते उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो हुत्था जंबूद्दीवे २ भरहेरवते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए जहण्णपए णं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो हुत्था, जंबुद्दीवे २ भरहेरवएसु वासेसु आगमेस्साते उस्सप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो भविस्सइ (सू० ३०१) जंबूहीवे २ देवकुरुउत्तरकुरुवजाओ चत्तारि अकम्मभूमीओ पं० सं०-हेमवते हेरन्नवते हरिवस्से रम्मगवासे, चत्तारि वट्टवेयडपव्वता पं० २०-सद्दावई वियडावई गंधावई मालवंतपरिताते, तत्थ णं चत्तारि देवा महिडितीया जाव पलिओवमहितीता परिवसंति, तं०-साती पभासे अरुणे पउमे, जंबूद्दीवे २ महाविदेहे वासे चउविहे पं० सं०-पुव्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तरकुरा, सव्वेऽवि णं णिसढणीलवंतवासहरपव्वता चत्तारि जोयणसयाई उड्डूं
॥
२३॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580