Book Title: Shrutsagar Ank 2007 03 012
Author(s): Manoj Jain
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 34
________________ पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी अाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक रत्नत्रयी का त्रिवेणीसंगम श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा तीर्थ श्रमण परम्परा के महान जैनाचार्य, गच्छाधिपति श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी म. सा. की पावन प्रेरणा व दिव्य कृपा एवं युगद्रष्टा, राष्ट्रसंत, श्रुतोद्धारक, आचार्य प्रवर श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के शुभाशीर्वाद से अहमदाबादगांधीनगर राजमार्ग पर पावन तीर्थ श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा की स्थापना २६ दिसम्बर, १९८० के दिन की गई. जिनशासन की प्रमुख संस्थाओं में अग्रगण्य श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र कोबातीर्थ संयम, साधना और ज्ञान के त्रिवेणीसंगम के रूप में विश्रुत है. जैनधर्मानुयायियों द्वारा प्रायः तीर्थक्षेत्रों पर जिनालय, आवासीय परिसर, भोजनशाला आदि का निर्माण एवं संचालन की परम्परा रही है. परन्तु इस पावन तीर्थ की अपनी एक विशिष्टता है कि यहाँ धर्म साधना के लिए जिनालय, आवासीय परिसर. भोजनशाला के साथ ही ज्ञानसाधना के लिए ज्ञान संरक्षण-संवर्द्धन के प्रमुख केन्द्र ज्ञानमंदिर की स्थापना की गई है जहाँ साधक-मुमुक्षु अपनी ज्ञान पिपासा को तृप्त कर सकते हैं. वर्तमान में श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र कोबातीर्थ अपनी अनेकविध प्रवृत्तियों के साथ निम्नलिखित शाखाओं, प्रशाखाओं के द्वारा धर्मशासन के उन्नयन में निरंतर तत्पर एवं अग्रसर है. महावीरालय : हृदय में अलौकिक धर्मोल्लास जगाने वाला बेनमून कलात्मक कलात्मक स्तम्भों व दरवाजों से युक्त भव्य महावीरालय दर्शनीय है. प्रथम तल पर गर्भगृह में मूलनायक महावीरस्वामी की मनोज्ञ एवं चमत्कारिक प्रतिमा के साथ अलग-अलग देरियों में १३ प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं. भूमि तल पर आदीश्वर भगवान की भव्य प्रतिमा, माणिभद्रवीर तथा भगवती पद्मावती सहित पांच प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं. सभी प्रतिमाएँ भव्य, मनोज्ञ एवं चुम्बकीय आकर्षण युक्त हैं. दर्शन करते ही मन धार्मिक भावना से ओत प्रोत हो जाता है. महावीरालय की विशिष्टता यह है कि आचार्यश्री कैलाससागरसूरीश्वरजी के अन्तिम संस्कार के समय २२ मई, को दोपहर २.०७ बजे प्रतिवर्ष महावीरालय के शिखर में से सूर्य की किरणें श्री महावीरस्वामी के ललाट को देदीप्यमान करती हैं, इस अनुपम, अद्वितीय एवं आलादक घटना का दर्शन प्रतिवर्ष भक्तजन भावविभोर होकर करते हैं. आचारकुशल, संयम में लीन, ओजस्वी प्रवचनकार, देशकालानुसार शिष्य-वस्त्र-पात्रादि का संग्राहक आचार्यों को भावभरी वंदना. सौजन्य हितेशभाई मोता, ग्लोबल एक्ज़ीम प्रा. लि., मुंबई 32

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