Book Title: Shrutsagar Ank 2007 03 012
Author(s): Manoj Jain
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 93
________________ टीका, आचार्य हरिभद्रसूरि * टीका, आचार्य मलयगिरिसूरि. अनुयोगद्वारसूत्र - २००० श्लोक प्रमाण यह सूत्र भी आगम ग्रंथों की चाबीरूप है. इस आगम के अभ्यास से अन्य सभी आगमों को समझने की पद्धति ज्ञात होती है. क्योंकि पदार्थों के निरूपण की व्यवस्थित संकलना स्वरूप शैली यही इस आगम की अनूठी विशिष्टता है. अनेक महत्त्वपूर्ण व प्रासंगिक बातों पर प्रकाश डाला गया है. अनुयोगद्वारसूत्र - टीका, आचार्य हरिभद्रसूरि आगमसूत्रों पर अन्य अनेक ज्ञात अज्ञात जैनाचार्य महापुरुषों ने टीकादि साहित्य रचा है. इस प्रकार ११ अंग, १२ उपांग, १० पयन्ना, ६ छेदसूत्र, ४ मूलसूत्र, २ चूलिका मिलकर ४५ आगमों का संक्षिप्त परिचय पूर्ण होता है. जैन आगम संबद्ध पारिभाषिक शब्दों का संक्षिप्त परिचय आगमः श्रुतस्कंधः अध्ययन: उद्देश: सूत्र: निर्युक्तिः चूर्णि: भाष्यः टीका: छेदसूत्रः तीर्थंकर परमात्मा की मौलिकवाणी. किसी भी आगम का मुख्य विभाग. श्रुतस्कंध का उपविभाग. पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी आचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक अध्ययन का उपविभाग. उद्देश का उपविभाग. आगमग्रन्थों पर चौदह पूर्वधर समर्थ श्रुतधर आचार्य भगवंतों की प्राकृत भाषाबद्ध पद्यमय व्याख्या, जिसमें शब्दों के व्युत्पत्ति अर्थों की प्रधानता होती है.. आगमसूत्रों पर गुरुपरंपरागत अर्थों का संकलन-विवेचन. गीतार्थ पुरुषों द्वारा संगृहित आगमिक परंपरा का संकलन. समर्थ ज्ञानी आचार्यों द्वारा की गई संस्कृत प्रधान व्याख्या. अत्यन्त गंभीर व गूढार्थवाले आगमसूत्र. काठमांडू- नेपाल-हरिद्वार व गोवा की भूमि पर सैंकड़ों वर्षों के बाद जिनमंदिर की स्थापना व प्रतिष्ठा करने वाले आचार्य श्री पद्मसागरसूरिजी के चरणारविन्द में वन्दनावली । 91

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