Book Title: Shrutsagar Ank 2007 03 012
Author(s): Manoj Jain
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

Previous | Next

Page 174
________________ पृथ्वी के समान सहिष्णु, कमल पत्र की तरह निर्लेप, वायु की तरह अप्रतिबद्ध, __ पर्वत सम निष्कंप, सागर की तरह क्षोभ रहित व केंचुए की भाँति गुप्तेन्द्रिय आचार्यों को कोटि-कोटि वंदन. मफतलाल मोहनलाल महेता परिवार मुंबई

Loading...

Page Navigation
1 ... 172 173 174 175