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अपनी प्रशस्ति करते हुए ग्रन्थ का समापन किया है.
फेरू जैन श्रावक थे और तत्कालीन दिल्लीपति अल्लाउद्दीन खिलजी के शाही खजाने के मन्त्री पद पर आसीन थे. उन्होंने अपने पुत्र के अभ्यास के लिए यह ग्रन्थ बनाया था.
चौरासी रत्नों में से जिन रत्नों का उल्लेख ऊपर नहीं किया गया है, उनका वर्णन इस प्रकार किया जा रहा है.
लालडी
फीरोजा
ऐमनी
जवरजद्द
तुर्मनी
उपल
नरम
धुनेला
सुनहला
कटेला
संग सितारा
गउदन्ता
तामडा
लुधिया
मरीयम
मकनातीस
सिन्दूरिया
लीली
बैरुज
मरगज
पितोनीया
दुरेलजफ
बांसी
सुलेमानी
आलेमानी
जजेमानी
सिवार
तुरसावा
यह गुलाब के फूल के समान होती है. २५ रत्ती से अधिक होने पर लाल कहा जाता है.
आसमानी रंग का होता है और कंकरों के समूह में मिलता है.
पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी भाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक
अधिक लाल थोडा स्याहीपन का होता है, ज्यादातर मुसलमान पहनते है. आनंददायक होता है.
सब्ज और स्याही के समान होता है.
पुखराज की जाति का यह रत्न पाँच रंगों में उपलब्ध होता है. यह हल्का व नर्म होता है, गलकारी होता है.
यह अनेक रंगों में होते है. ऊपर एक तरह का अभ्र पड़ता है.
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लाल जरदपन सरीखा होता है.
यह सोने के धुएँ के समान होता है.
यह भी सोने के धुएँ के समान होता है.
बैंगन के रंग के समान होता है.
इसमें कई रंग होते हैं, ऊपर सुनहले रंग के दाग होते हैं. गाय के दाँत के समान थोडा जरद व सफेद रंग का होता है.
काला व सुर्ख रंग का होता है, इसमें चमक होती है. मजन्टा अथवा चिरमी के समान लाल रंग का होता है. सफेद रंग का होता है. इसकी पालिस अच्छी होती है. थोडा स्याहीपन और सफेद चमकदार होता है.
सफेद रंग लिये हुए कुछ गुलाबी रंग का होता है.
यह नीलम की जात है, परन्तु नीलम से कुछ नरम और थोडा जर्द होता है.
यह हल्का व सब्ज होता है, इसकी खान टोडा में है.
यह पन्ने की एक जाति है, इसमें पानी नही होता है.
सब्ज के ऊपर सूर्ख छीटेदार होते है.
कच्चे धान के समान इसका रंग होता है. इसकी पालिश बहुत अच्छी होती है. हरे रंग का, हल्का तथा नरम होता है. पालिश अच्छी व चमकदार होती है.
काले रंग पर सफेद डोरे होते है.
भूरे रंग पर उपर सफेद डोरे होते है.
यह सुलेमानी जाति की है, इसका रंग पारे के समान होता है.
यह हरे रंग का होता है, उसके ऊपर भूरे रंग की रेखा होती है.
यह गुलाबीपन लिये हुए जर्द रंग का होता है. इसका पत्थर बहुत नर्म होता है.
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