Book Title: Shrutsagar Ank 2007 03 012 Author(s): Manoj Jain Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra KobaPage 72
________________ पंन्यास प्रवर श्री अमृतसागरजी आचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक डॉ. सागरमल जैन, निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी 'आपकी संस्था की ओर से मुझे अभूतपूर्व सहयोग मिल रहा है और मेरा कार्य वायुयान की गति से हो सका है. क्योंकि आवश्यक पुस्तकादि यहाँ पर नहीं मिलने पर या अति विलंब से मिलने पर कार्य करने में आपत्ति आती है. आपश्री ने कुशल वैद्य के समान मेरी पीड़ा दूर की है आप सभी को धन्यवाद... धन्यवाद... आपकी कार्य प्रणाली की अनुमोदना.' डॉ. कविन शाह, बिलीमोरा 'यह पुस्तकालय अद्भुत है, मैंने अपनी रिसर्च के दौरान अनेक पुस्तकालयों में जाकर काम किया लेकिन जैसी सुविधा तथा आतिथ्य यहाँ प्राप्त हुआ, अन्य जगह नहीं. भविष्य में और भी अधिक उन्नति की कामना करती हूँ. मंजू नाहटा, चित्रकार कोलकाता ‘ખુબ સુંદર આયોજન. હસ્તપ્રતોનો આટલો વિશાળ ભંડાર બીજે ક્યાંય જોયો નથી. ખુબ સુંદર સંરક્ષણ વ્યવસ્થા છે. મંદિર સાથે આટલું પવિત્ર, ભવ્ય, વિદ્યાગૃહ જોડાયું હોય એ સુખદ સંયોગ છે. સમર્પણ તથા ત્યાગની ભાવના વિના આવું નિર્માણ शध्य नथा.' પ્રો. રાજેદ્ર આઈ. નાણાવટી ,વડોદરા "We were extremely pleased to be at Koba and look at its excellent facilities while are being developed. " Prof. M. A. Dhaky, Director, American Inst. of Indian Studies "It was a good occasion to visit the complex and I was very much impressed by the activities (academic as well religious) carried here. The working of computer was astonishing and its multifarious fields of work were very useful for use this modern age. Prof. Dr. K. R. Chandra, Ahmedabad વિશિષ્ટ અતિથિ ऊपर का संग्रह देखा. अद्भुत है. अत्यंत प्रभावित हुआ. शोधकर्ताओं के लिये अमूल्यनिधि है. किन्तु अभी यह शोध यहीं बैठकर हो सकता है. यदि संग्रहीत सामग्री को ग्रन्थों के रूप में तैयार किया जाए तो शोधकर्ताओं के लिये कार्य सुलभ हो सकेगा. लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली છોગણીeણ પાપમ્પના સાપ જો રાસ તથoળા ગુણોના 13ળા જાણકાર છાપા 9 મીણ ગુણોથી યુt1 માથાને વંદન सोय દાંતોષ ટાર્થ પ્રોઇટાલિ. હed સોહolલાલ યૌઘરી, અમદાવાદ 70Page Navigation
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