Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras Author(s): Nirnaysagar Press Publisher: Nirnaysagar Press View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बत्रीस सहस नाटिक सहीए, त्रण लाख मंत्री दद ॥ न०॥ देवी धरा पंच लख कह्याए, शोल सहस सेवा करे यह॥न०॥३५॥ दस कोडी अलंब ध्वजा धराए, पायक बन्न कोडीन॥ चोशठ सहस यंते उरीए, रूपें सरखी जोडी॥नम् ॥ ३६ ॥ एक लाख सहस अहावीशए, वारांगना रूपनी याति ॥ नम्॥ शेष तुरंगम सवि मलीए, कोडी बढार निहालि ॥न ॥३७॥त्रए कोडी साथ व्यापारीयाए, बत्रोश कोडी सूधार ॥ ज०॥ शेत सारयवाह सामटाए, रायराणा नो नही पार ॥॥३॥ नवनिधि चौद रयणशंए, लीधो लीधो सवि परिवार ॥ ॥ संघपति तिलक शोहा मणोए,नालें धराव्यो सार ॥न॥३॥ पग पग कर्म निकंदताए,याव्या याव्या आशन जास॥ नम्॥ गिरि देखी लोचन तस्याए, धन धन शत्रंजय नाम ॥ ॥ज॥ ४० ॥ सोवन फूल मुगता फलेंए, वधाव्यो गिरि राज ॥ न ॥ दीए प्रदक्षणा पाखतीए, सीधां संघलां काज ॥ ज० ॥४१॥ ॥ ढाल नही ॥ जयमालानी॥ प्रनु पास जोतां ॥ ए देशी॥ ॥ काज सीधा सकल हवे सार, गिरी दी हरख For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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