Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press

View full book text
Previous | Next

Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २६ ) ॥ अथ श्री आदिनाथ विनंतिरूप श्री शत्रुंजय स्तवन ॥ ॥ पणमविसयल जिणंद पाय, मन वंदित कामी ॥ सयज तीरथनो राजीन ए, प्रणमुं सिरनामी ॥ जस दरिशन डरगति टले ए, नासे सवि रोग ॥ स्वज न कुटुंब मेला मजे ए, मनवंडित जोग ॥ १ ॥ नानि कुमर जगजालीयें ए, मरुदेवीनो नंद ॥ वदन कमज दीपे प्रति ननुंए, जाणे पुनम चंद ॥ शत्रुजा केरो राजीयो ए, सोवन मय काया | उंचपणे सय धनुष पंच, प्रणमें सुर राया ॥ २ ॥ चोराव इंड् यादे दइ ए, सुर सेवा सारे ॥ त्रिभुवन तारण वीतराग, नव पार उतारे || चालाने शत्रुजे जाइयें ए, दरखे कीजें जात्र ॥ सूरज कुंके स्नानकरी, कीजे निर्मल गा ॥ ३ ॥ खीरोदक सम धोतीया ए, उदय बादर चीर ॥ कनक कलश सायें लइ, नरीयें निर्मल नीर ॥ बावना चंदन घसी घणो ए, कवोला जरीयें ॥ युगा दिदेव पूजा करी ए, नव सायर तरीयें ॥ ४ ॥ चंपक केतकी मालती ए, मांहे दमणो शोहे ॥ कुसुममाल कंठे ठवोए, नवियण मन मोहे ॥ कर For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96