Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४५) विलास ॥ नमो० ॥ तिहां त्रण पडिमायें नमु ए, श्री मन मोहन पास ॥नमो० ॥ १७ ॥ श्रामण साहामा देहरा ए, श्रीशांतिनाथनां दोय ॥ नमो० ॥ एकमां प्रतिमा त्रस्य नमुं ए, बीजें पचाश तुं जोय ॥ नमो० ॥ १८ ॥ मूलकोट मांहे दण दिसें ए, देहरी त्रस्य बेजोड | नमो० ॥ तहां प्रतिमा खट वंदीयें ए, क हे अमृत मद मोड | नमो० ॥ १९ ॥ ॥ ढाल खामी ॥ तपचं रंग लागो || ए देशी ॥ ॥ उत्तर पूरव वचले नागें, देहरी त्रस्य शोहावे रे । दरखीने ते थानक फरसे, वरसी समता जावें ॥ एहने सेवोने, हांरे तुमे सेवो सदु नरनार || एहने ॥ ॥ एतो मेवो इसे संसार || एह ॥ एतो नवजल तारण हार || एहने० ॥ ए यांकणी ॥ १ ॥ तेहमां यावच्चा सुत सेजग, सूरि प्रमुख सुखदाइ रे || इगिरि सीधा तेहनां पगलां, वंडु सहस्त घढाइ || एहने ॥ २ ॥ पासें विहार उत्तंग विराजे, रंगमंरुप दिसि चार रे ॥ सेव शिवासोमजीयें कराव्यो, खरची वित्त उदार ॥ एहने० ॥ ३ ॥ अनंत चतुष्टय गुण निपज्याथी, सर खा चारे रूप रे ॥ परमेसर गुन समयें थाप्या, चारे For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96