Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press
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जाणी, पूरव नवाणु वार ॥ आदिश्वर याव्या, जा णी लान अपार ॥ १॥ त्रेवीश तीर्थकर, चडिया ऐगिरि नावे ॥ ए तीरथनां गुण, सुर असुरादिक गा वे॥ ए पावन तीरथ, त्रिजुवन नही तस तोले ॥ ए तीरथनां गुण, सीमंधर मुख बोले ॥ २ ॥ पुंमरि गिरिमहिमा, बागममां परसि ॥ विमलाचल नेटी लहियें अविचल २६ ॥ पंचमी गति पोहोता, मुनि वर कोडाकोड ॥ एणे तीरथ थावी, कर्मविपाक वि बोड ॥३॥ श्रीशत्रुजयगिरि, अहोनिस रक्षा कारी॥ श्रीयादिजिनेसर, बाण दयमांधारी ॥ श्रीसंघ वि घ्न हर, कविडयद जरपूर ॥ श्रीसंघनां संकट, रवि बुध सागर चूर ॥ ४ ॥ इति स्तुति ॥
॥अथ श्रीशत्रुजय स्तुति ॥ ॥श्रीशजय गिरि तीरथ सार, गिरिवर मांहें जेम मेरु उदार, नाकुर राम थपार ॥ मंत्रमांहे नव कारज जाणुं, तारा मांहे जेम चंद वखाणुं, जलधर माहे जल जाणुं ॥ पंखीमाहे जेम उत्तम हंस, कुल माहे जेम ऋषननो वंश, नानि तणो जे अंश ॥ छ मावंत मांहे जेम अरिहंता, तपसूरा मुनिवर महंता, शत्रुजय गिरि गुणवंता ॥ १ ॥ षन अजित संन
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