Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 81
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (96) गार ॥ महाराजा॥ कलिमल करिकुल केशरीजी राज, मरुदेवी मात मन्नार ॥ महा ॥ तोरथ तीरथ गुं करोजी राज, अवर बाल पंपाल ॥ म हाराजा ॥ त्रिभुवन तीरथ एक जो राज, श्रीलिमा चल सुविशाल ॥ महाराजा ॥ शेवं० ॥३॥ नाग्य होय तो जेटोयें जीराज, विमलाचल वारोवार ॥ म हाराजा॥ जेणें अक वार दीठो नहींजी राज, अफल तेहनो अवतार ॥ महाराजा ॥ शे० ॥ ४ ॥ सत्तर नेव्याशीया समेजो राज, जोर बनी नतंग ॥ महारा जा ॥ प्रतिष्ठान पुरे पूज्या तणीजो राज, अधिक प्रांगीनो नमंग ॥ महाराजा ॥ शेg ॥ ५ ॥ चैतर शुदि बारस दिनेजी राज, नदयरतन नवद्याय । म हाराजा ॥ परिकरगुं प्रनु पेखोनेजी राज, गेलेगुं गु । गाय ॥ महाराजा ॥ शे॥ ६ ॥ इति ॥ ॥अथ जे जे स्थानकें शाश्वत जिनालय ले ते ते स्थानकोनां नाम तथा त्यां जिनमंदिरनी संख्या अने प्रत्येक मंदिरमा प्रतिमाजीनी संख्या तथा एकत्र प्रति माजीनी संख्या, प्रतिमाजीना शरीरनु प्रमाणु मंदिरनी लंबाइ तथा चोडाइ अने लंचपणाना प्रमाण- यंत्र लखीयें बैयें जेथी वंदना करवाने अनुकूल थाय. For Private and Personal Use Only

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