Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 80
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७७) ॥ १७ ॥शत्रुजय महातम सांजली ए, रास रच्यो अ नुसार ॥ जे नवि गावे नावगुंए, आनंद होए अपा र ॥ श० ॥ १५ ॥ शत्रुजय रास शोहामणो ए, सान लजो सदु कोय ॥ घर बेठांजणे नावझुं ए,तसु जात्रा फल होय ।। श० ॥ २०॥नणशाली थिरु अतिजलो ए, दयावंत दातार ॥ शत्रुजय संघ करावीयो ए, जेस लमेर मकार ॥ श० ॥ २१ ॥ शत्रुजय महात्म्य ग्रंथ थीए,रास रच्यो अनुसार ॥ नाव नक्ते नएतां थकां ए, पामोजें नव पार ॥ श० ॥ १२ ॥ संवत शोल याशीयें ए, श्रावणशुदि सुखकार ॥ रास नस्यो शत्रु जा तणो ए,नगर नागोर मकार ॥ २० ॥ २३ ॥ गि रुगब खरतर तणो ए, श्रीजिनचंद सूरीश ॥ प्रथम शिष्य श्रीपूज्यना ए, सकलचंद सुजगीश शाश्॥ तास शिष्य जग जाणीयें ए, समय सुंदर उवद्याय, रास रच्यो तेणें रूअडो ए, सुणतां यानंद थाय ॥ ॥ श० ॥ २५॥ इति श्री शत्रुजयरासः संपूर्णः ॥ अथ श्री सिक्षाचलजीनुं स्तवन ।। ॥शेजो जोवानुं हो जोर से जी॥राज जोर जे जी राज ॥ नानोनो किशोर ॥ महाराजा ॥ शेजो० ॥ ॥ १ ॥ सोरत देशनो साहेबोजी राज,शेजानो शण For Private and Personal Use Only

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