Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 60
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 49 ) नंत ए गिरिवरं || मुक्ति रमणी वस्या रंगें ॥ नमो० ॥ ॥ ५ ॥ पाताल नर सुरलोक मांहे, विमल गिरिवर तो परं ॥ नही अधिक तीरथ तीर्थपति कहे ॥ नमो० ॥ ६ ॥ एम विमल गिरिवर शिखर मंगल, दुःख विहं म ध्यायें || निजशुद्ध सत्ता साधनार्थ, परम ज्यो तिने पाइयें ॥ ७ ॥ जित मोह कोह विछोह निश, परमपद स्थित जयकरं || गिरिराज सेवा कर तत्प र, पद्मविजय सुहितकरं ॥ ८ ॥ इति ॥ १ ॥ ॥ अथ द्वितीय चैत्यवंदन ॥ || सिद्धाचल शिखरे चढी, ध्यान धरो जगदीश ॥ मनवच काय एकाग्र शुं, नाम जपो एकवीश ॥ १ ॥ १ शत्रुंजय गिरि वंदीयें, २ बाहुबलि गुणधाम ॥ ३ म रुदेवने ४ पुंमरिकगिरि, ए रेवतगिरि विसराम ॥ २ ॥ ६ विमलाचल ७ सिद्धराजजी, नाम नगीरथ सा र || सिध क्षेत्रने १० सहस्र कमल, ११ मुक्ति नि जय जयकार ॥ ३ ॥ १२ सिद्धाचल १३ शतकूट गिरि, १४ ढंकने १५ कोडीनिवास ॥ १६ कदंब गिरि १७ लो हित नमो, १८ तालध्वज १९ पुण्यरास ॥ ४ ॥ २० म हाबल २१ दृढशक्ति सही, ए एकवोशह नाम ॥ सा ते शुद्ध समाचरी, करीयें नित्य प्रणाम ॥ ५ ॥ दग्ध For Private and Personal Use Only

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