Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ए) कालें जोय, विघन घणेरां रे ॥ कीg ते सीधुं सोय, गुंडे सवेरां रे ॥ ३ ॥ ए हितशिदा जाण, सुगुणा हरखो रे ॥ वली तीरथनां यहिताण, थामें निरखो रे ॥ देवकीनां खट नंद, नमी अनुसरिये रे, बातम शक्ते अमंद, प्रदक्षणा करिये रे ॥ ४ ॥ पहेली नल खा जोल, नरीते जलशु रे ॥ जाणे केशरनां जब कोल, नमणनां रसशुं रे ॥ पूजे इंश थमोल, रयण पडिमाने रे ॥ ते जल अांख कपोल, वो शिर ठामें रे ॥ ५॥ धागल देहरी दोय, समोपे जा रे ॥ ति हां प्रतिमा पगलां दोय, नमी गुण गा रे ॥ वली चित्रणा तलावडी देख, मनमां धारूँ रे ॥ तिहां सि ६ सिल्ला संपेख, गुण संनाऊं रे ॥ ६॥ नाडवे नवि यण वृंद, आपण जाणुं रे ॥ जे थानक अजितजिणं द, रह्या चोमासुं रें॥ जिहां संब प्रद्युम्न मुनिरंग, थया यविनासी रे ॥ ते धन्य कृतारथ पुण्य, थुणे गुण रासी रे ॥ ७ ॥ हुँतो सिवड पगला साथ, नमुं हि त काजे रे ॥ इहां शिवसुख की, हाथ, बहु मुनिरा में रे॥ इम चढतां चारे पाज, चनगति वारे रे॥ए तीरथ जग जिहाज, नव जल तारे रे ॥७॥ जेज ग तोरथ संत, ते सङ करिये रे ॥ पण ए गिरि नेटे For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96