Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३७) प्रणमुं धान सवेर रे ॥ त्रिनु॥ १४ ॥ शेत जगन्नाथ जीयें कराव्युं.जिनमंदिर नले जावे रे।। तेहमां नव जि नपडिमा वंदी, कवी अमृत गुणगावे रे॥त्रिनु॥१५॥ ॥ ढाल चोथा ॥ तुमे पीता पीतांबर पहेयाजी
मुखने मरकलडे ॥ ए देशी॥ ॥रायणथी उत्तर पासेंजी, तीरथना रसीया ॥ जिनवर जिनघर नन्नासेंजी ॥ मुज दीयडे वसीया ॥ ए बांकणी ॥ सहु नां जोड शिरनामीजी॥ ती० ॥ मुज मननां यंतर जामीजी । मु०१॥ जिनमुायें रूषन जिणंदोजी ॥ ती० ॥ तिम नरत बाहुबलि वं दोजी ॥ मु० ॥ नमि विनमी कासगीया सामाजी। ती० ॥ ब्राह्मी सुंदरी एक देहरीमांजी ॥मु॥॥ पद कृष्ण शुकल ब्रह्मचारीजी ॥ तो० ॥ शेत विजयने वि जया नारीजी ॥ मु०॥ एहवा कोए न दूया अवता रीजी ॥ ती० ॥ जावं तेहनी हुँ बलिहारोजी ॥ मु॥ ॥३॥ ग अंचल चैत्य कहावेजी॥ती॥ वीश पडि मा वंड नावेजी ॥ मु०॥ तस मंझप थना मांहिजी ॥ती॥ चौद पडिमा वंडं त्यांहिजी ॥मु॥१॥ नूषण दासनां देहरा मांहेजी ॥ ती० ॥ तेर पडिमा थापीठ बांहेजी ॥ मु० ॥ वाबरडा मंगल खंनातीजो ती० ॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96