Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(४१) लाल ॥ न० ॥१४॥ चतुरनुजा चकेसरी॥ वि०॥ तेहना प्रणमी पाय॥न ॥ संघ शकल उलंघ करे॥ वि०॥ बुध अमृत जर गुण गाय ॥ न० ॥१५॥ ॥ ढाल बही॥ नवितुमे वंदोरे, संखेश्वर
जिनराया ॥ ए देशी॥ ॥ नवितुमे सेवो रे,ए जिनवर उपगारी ॥ कोनही एहवो रे, तीरथमां अधिकारी॥ ए थांकणी॥ हाथी पोलथी उत्तर श्रेणे, जिनघर जिनजी जे ॥ समो सरण सुंदर तेहमां, प्रतिमा चार विराजे ॥ नवि० ॥१॥ समोवसरण पनवाडे देहरी, थावे अनोपम शोहे ॥वीश जिनेसर तेहमां बेग, नवियानां मन मोहे ॥ नवि० ॥ ॥ रत्नसिंघ नंमारी जेणे, कीg देवल खास ॥ तिहां जिन चार संघात थाप्या,विजय चिंतामणी पास ॥ नवि० ॥३॥ तेहनी पासें चारले देहरी, तिहां जिनपडिमा वीश ॥ प्रेमजी वेलजी शा हने देहरे, प्रणामुं पांच जगीश ॥ नवि०॥ ४ ॥ नथ मन थाणंदजीये कीधुं, जिनमंदिर सुविशाल ॥ तिहां जइ पांच जिनेसर नेटे, मेटे नव जंजाल ॥ नवि० ॥ ५॥ वधसा पटणीने देहरे, अष्टादश जिनराया ॥ पासें देहरी चिना बिंबनी, देश बंगाल कहाया ॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96