Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३२ ) हेमकुंमने खारे ॥ न लें ० ॥ १४ ॥ राम नरत शुक सेन ग स्वामी, हांरे यावच्चा नमुं शिरनामीरे ॥ नवें ॥ १५ ॥ चूषणकुंम वाडी जोइ वंदो, शुकोशल मुनि पद सुख कंदोरे ॥ ० ॥ १६ ॥ यागल हनुमंतवीर कहाये, हांरे तिहांथी वे वाटें जवायेरे ॥ नसें ० ॥ १७ ॥ मावी दिसा रासपोज हुं रंजी, साहामी दीसे नदी शत्रुजी रे ॥ ज० ॥ १८ ॥ जातां जमली दिसें वंदो नाली, मुनि जाली मयाली नवयालीरे ॥ नजें० ॥ १९ ॥ तिहांथी मावी दिसें साहामा शोहावे, नमो देवकी पट सुत नावेरे ॥ नजें० ॥ २० ॥ इम गुननाव थकी उत्कर्षे, रामपोलमां पेसीयें हरखेंरे ॥ नजै० ॥ ॥ २१ ॥ कुंतासर पालें नवघण नालो, जेह कीधी शाह सुगालोरे ॥ नलें० ॥ २२ ॥ धाइ सोपान चढी यति दरखो, जइ वाघण पोजें निरखोरे ॥ नलें० ॥ ॥ २३ ॥ थिरतायें न योग जगावो, कहे अमृत जावना जावोरे ॥ नलें० ॥ २४ ॥ ॥ ढाल बीजी ॥ सीता हरखीजी, उग्रायो हनु मंतको लस्कर, घटाज्युं उमटी श्रावनकी सीता हरखीजी दरखीजी ॥ ए देशी ॥ ॥ निरखीजी निरखीजी, हूंतो हरखुरे निरखीजी ॥ For Private and Personal Use Only

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