Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१२) जनपदमा शिरदार ॥ ६१ ॥ अहनिश थावत ढू कडा, तेपण जेहने संघ ॥ ते० ॥ पाम्या शिव वधू रंग॥ ६॥ विराधक जिनवाणना, तेपण दुया वि शु६॥ ४०॥ पाम्या निर्मल बुझ॥ ६३ ॥ महा म्लेड साशन रिपु, ते पण ह्या उपरांत ॥ ते० ॥ महिमा देखी अनंत ॥ ६४ ॥ मंत्र योग अंजन सवे, सिम द्रवे जिणाम ॥ ते ॥ पातकहारो नाम ॥ ६५ ॥ सुमात सुधारस वरसते, कमेदावानल संत ॥ ते० ॥ उपशम तस ननसंत ॥६६॥ श्रुतधर नितु नितु नप दिशे, तत्त्वातत्त्व विचार ॥ ते ॥ ग्रहे गुणयुत श्री तार ॥६॥ प्रियमेलक गुणगण तणु, कोर्तिकमला सिंधू ॥ ते ॥ कलिकालें जगबंधु ॥ ६७ ॥ श्रीशां ति तारण तरण, जेहनी नक्ति विशाल ॥ ते ॥ दिन दिन मंगलमाल ॥ ६ए ॥ श्वेतध्वजा जस लहकती, जांषे नविने एम ॥ ते ॥ भ्रमण करो डो केम ॥ ७० ॥ साधक सिम दिसा जणी, बाराधे एक चि त्त ॥ ते ॥ साधन परम पवित्त ॥ ७१ ॥ संघपति था एहनी, जे करे नावें यात्र ॥ ते ॥ तस होये निर्मल गात्र॥७॥ शुभातम गुण रमणता,प्रगटे जे हने संग ॥ ते ॥ जेहनो जस अनंग ॥ ३ ॥ For Private and Personal Use Only

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