Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२०) सुंदर जात्रा जेहनी, देखी हरखे चित्त । ते ॥ त्रि नुवन माह विदित्त ॥ ३६॥ पालीतागुं पुर नर्बु, सरोवर सुंदर पाल ॥ते॥ जाए सकल जंजाल॥३॥ मनमोहन पागे चढे, पग पग कर्म खपाय ॥ ते ॥ गुण गुणिनाव लखाय ॥३७॥ जेणे गिरि रूंख सो हामणां, कुंके निर्मलनीर ॥ ते ॥ नतारे नवतीर ॥३॥ मुक्तिमंदिर सोपान सम, सुंदर गिरिवर पाज॥ ते ॥ लहियें शिवपुर राज ॥ ४० ॥ कर्मकोटि अध विकटनट, देखी ध्रुजे अंग ॥ ते ॥ दिनदिन चढते रंग ॥४१॥ गौरी गिरिवर नपरे, गावे जिनवर गीत ॥ ते ॥ सुखे शासनरीत ॥४५॥ कवड यद रखवाल जस, अहनीश रहे हजूर ॥ ते० ॥ असूरां राखे दूर ॥४३॥ चित्त चातुरीचकेसरी, विघ्न विनासणहार ॥ ते०॥ संघतण। करे सार ॥४३॥ सुरवरमा मघवा यथा, ग्रहगणमां जिम चंद ॥ ते ॥ तिम सवि ती रथ इंद ॥४५॥ दी। उर्गति वारणो, समस्यो सारे काज ॥ ते ॥ सवि तीर्थ सिरताज ॥ १६ ॥ घुम रिक पंच कोडोसुं, पाम्या केवल नाण ॥ ते ॥ कर्म तणी होए हाण ॥४७॥ मुनिवर कोडी दस सहित, इविड अने वारिखेण ॥तेा चढिया शिव निश्रेण ॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96