Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras
Author(s): Nirnaysagar Press
Publisher: Nirnaysagar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( १० )
लाने पार ॥ ६६ ॥ हवे यजित बीजो जिनदेव, श जय सेवा मिसि देव || सि६ क्षेत्र देखी गह गह्या, अजितनाथ चोमासुं रह्या ॥ ६७ ॥ नाइ पितराइ अजित जिन तो, सगर नामे बीजो चक्रवर्त्ति नणो ॥ पुत्र मरण पाम्यो वैराग, इंदे प्रीवियो महानाग ॥ ६८ ॥ श्वचन हियडामांहे घरी, पुत्र मरण चिंता परिहरी ॥ जरत तणीपरें संघवी थयो, श्रीशत्रुंजय गिरि यात्रा गयो || ६ || जरत मणिमय बिंबवि शाल, करया कनक प्रासाद जमाल || ते देखी मन हरख्यो घणु, नाम संनायुं पूर्वज तषु ॥ ७० ॥ जाली पडतो काल विशेष, रखे विनास ऊपजे रेख ॥ सो वन गुफा पश्चिमदिसि जिहां, रयण बिंब नंमाया तिहां ॥ ११ ॥ करी प्रासाद सयल रूपना, सोवन बिंब करी थापना || को यजित प्रासाद नदार, एहस गर सत्तम उद्दार ॥ ७२ ॥ पञ्चाश कोडी पंचाणु लाख, उपर सहस पंचोत्तर नाख ॥ एटला संघवी नूपति यया, सगर चक्रवर्त्ति वारें का ॥ ७३ ॥ त्रीस कोडी दश लाख कोडी सार, सागर अंतर करे उद्धार ॥ व्यंतरेंड् याम्मो सुचंग, यनिनंदन उपदेश उत्तंग ॥ ७४ ॥ वारें श्रीचं प्रन तणे, चंदशेखर सुत
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96