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विषयानुक्रमणिका
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३६३
विषय प्रथम आश्वास
षष्ठ आश्वास मङ्गलाचरण
३ | समुद्र का राम की शरण में आना १६० शरद् ऋतु-वर्णन
१६ । समुद्र द्वारा राम की स्तुति १६३ लङ्का से हनुमान का लौट कर समुद्र की प्रार्थना पर सेतु के आना और राम से वार्तालाप २६ लिए वानरों का पर्वतों राम का वानरसैन्य के साथ
को ले आना
२०० लंका-गमन
सप्तम आश्वास । सेतुरचना का वर्णन
२४४ विन्ध्य गिरि एवं सह्याद्रि दर्शन ४०
अष्टम आश्वास राम का कपिसैन्य के साथ ४३
सेनासमेत राम का सेतु से मलयगिरि पर पहुँचना
लंकाममन
३३२ राम का कपिसैन्य के साथ समुद्र- ४५
नवम आश्वाश तट पर पहुँचना
वानरों का सुवेलदर्शन द्वितीय आश्वास
दशम आश्वास समुद्र-वर्णन
४८ । राम-लक्ष्मण सहित वानरों का समुद्र को देखकर वानरों का
सुवेल पर आवास हताश होना
दिवसावसान वर्णन
३६५ तृतीय आश्वास
सन्ध्या -वर्णन सुग्रीव का उत्साहवर्द्धक भाषण ७७ चन्द्रोदय वर्णन
४०८ चतुर्थ आश्वास
निशाचर दम्पति-सम्भोग-वर्णन ४१६ वानरों का सोत्साह होना ११३
. एकादश आश्वास जाम्बवान का भाषण १२१ सीता विरहजन्य रावण की विभीषण का राम की शरण में अवस्था का वर्णन
४३५ आना
१३६ राम का कटा मायानिमित सिर विभीषण के प्रति राम के सीता को दिखाने के लिए सान्त्वनापूर्ण वचन
१४३
| रावण की योजना राम द्वारा विभीषण का अभिषेक १४६
सीता को राम का सिर दिखाने पञ्चम आश्वास
हेतु राक्षसों का प्रमद-वनगमन ४५४ राम की विप्रलम्भावस्था का राक्षसों का सीता की दशा देखना ४५५ वर्णन
१४७ राम का सिर देख कर सीता प्रभात-वर्णन
का व्याकुल होना
४६२ राम-रोष का वर्णन
सीता के प्रति त्रिजटा के श्रीराम का धनुर्धारण
आश्वासन-वचन
४७७ श्रीराम का समुद्र पर बाण
सीता का पुन: प्रलाप ४८४ छोड़ना
राम के सिर को सीता द्वारा राम के शराभिधात से समुद्र पुनः देखना
४८८ की अवस्था
सीता का मरणोद्यत होना ४८६
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