Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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पर्वतों पर ले जायें तथा अब कौन सी रेखा देखी जाय इसका निर्धारित नियम यह है कि जीवन रेखा, एवं स्वास्थ्य रेखा को एक साथ देखना आरम्भ किया जाय । ताकि उसके पश्चात् मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा आदि का अध्ययन किया जा सके।
हस्त रेखा अध्ययन के समय हस्त रेखा विशेषज्ञ का यह कर्तव्य होता है, कि वे जो कुछ भी बतायें ईमानदारी, सच्चाई तथा पूरी सावधानी से। सीधा सत्य बताने के पहले यह ध्यान रखने का विषय है कि परामर्श कर्ता को किसी भी प्रकार का न ठेस पहुंचे और न ही दुःख का आभास हो। यह ध्यान रहे कि जैसे आप किसी अत्यन्त संवेदनशील और बेहतर मशीन से पेश आते हैं । उसी तरह सामने बैठी मानवता की अत्यन्त उलझी इकाई से पेश आना उचित है। साथ ही सहानुभूति से परिपूर्ण होना भी आवश्यक है। जिस व्यक्ति का हाथ देखा जाये उस समय उससे यथा सम्भव बाहरी रुचि भी लें तथा उसके जीवन में प्रवेश कर जायें। अतः आपकी कुल भावना एवं आकांक्षा कल्याण करने की होनी चाहिए। यदि यह भावना आपके कार्य का मूलाधार बन जाये तो यह कार्य आपको न थकायेगा, न दुःख पहुंचायेगा बल्कि शक्ति देगा। इन बातों के अलावा ज्ञान की खोज में कभी धैर्यहीन न हों। कोई भी भाषा आप अल्पकाल में नहीं सीख सकते। उसी तरह आपको हस्त रेखा का ज्ञान एक दिन में हासिल होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। यदि यह विषम कठिन भी लगे तो हतास न हों बल्कि ध्यान से इस पर गौर करें और शोध कार्य समझ कर निरन्तर लगे रहें। यदि आप इसे ठीक-ठीक पढ़ गये तो यह बात अवश्य समझ में आ जायेगी कि इसमें जीवन के रहस्यों की कुंजी हैं। इसमें पैतृक नियम है, पूर्वजों के पाप-पुण्य, अतीत का कार्य, कार्य का कारण जो चीजें हो चुकी है उनका संतुलन, जो हो रहा है, उसकी छाया-सब विद्यमान है।
आप विनयपूर्ण रहें ताकि ज्ञान ऊँचा उठाये, जिज्ञासु रहें ताकि प्राप्ति की ओर बढ़े।