Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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The Effects of Lines
रेखाओं का प्रभाव
शरीर की त्वचा बड़ी संवेदनशील है इसमें ताप, दबाव, दर्द, आदि को शीघ्र जान लेने की क्षमता होती है परन्तु कुछ रेखाएँ अटल होती हैं। उदाहरण के तौर पर एक कुष्ठ रोगी की अंगुलियों में तंत्रिका खोने के कारण परिधि प्रभावित होती है तथा उसकी संवेदनशक्ति खत्म हो जाती है परन्तु अंगुलियों के पोर पर स्थित रेखाएँ ज्यों की त्यों बनी रहती हैं। एक शोध के अनुसार ये रेखाएँ लगभग एक खरब सात लाख आदमियों में से सिर्फ दो व्यक्तियों की समान फिंगर प्रिंट हो सकती है। अपराध विज्ञान में अंगुली की एक छाप को दीर्धीकरण करके उसे कई टुकड़ों में विभाजित करके उसके आठ कोण किसी व्यक्ति की छाप से मिल जाने पर वह अंगुली उसी व्यक्ति की मानी जाती है। त्वचा रेखाओं से लेकर हस्त रेखाओं के अनोखेपन ने जहां आज अपराधियों को पकड़ने में सहायता दी है। वहीं इन त्वचा रेखाओं से पैदा होने वाले कुछ रोगों के परिणाम इन त्वचा रेखाओं पर आ झलकते हैं। इनके अध्ययन से आगे होने वाले रोगों की रोकथाम हो सकती है। अंगुलियों के पोर पर सामान्यतया कई तरह के चिह्न पाये जाते हैं, जो साहित्य के अनुसार लगभग 50 प्रकार के हैं। पृथ्वी पर लगभग 6 अरब मनुष्यों की आबादी है जिनमें से एक-दूसरे की चेहरे व रेखाएँ समान नहीं होते। चाहे वे जुड़वा भाई ही हों उनका चरित्र, हाथ की रेखाएँ, अन्य, व्यक्तित्व सबका सब अलग-अलग होता है।
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