Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 169
________________ रेखा से स्पष्ट है कि इनमें वीरता और चेतना भी है। ये हमेशा साहसी, उत्साही, आशावान, निडर और वाचाल होते हैं। इन्हें समाज में यश और प्रतिष्ठा भी प्राप्त होता है। ये लोग आपत्ति से नहीं डरते। जिस कार्य को हठ भावना से करते हैं, उसमें इन्हें सफलता भी प्राप्त होती है। ये रूढ़िवादी रीति रिवाजों के खिलाफ रहना पसंद करते हैं। इनमें हमेशा आत्मविश्वास की लहर दौड़ती रहती है। इनका हृदय एक ओर कठोर और दूसरी ओर कोमल होता है। ये न्याय के प्रति हमेशा उतावले होते हैं तथा न्याय के लिए स्वतः की बलि देना अपना कर्तव्य समझते हैं। विषम परिस्थिति में ये अपने मनोबल और वैभव से सफल पाये जाते हैं। कुछ प्रभाव राहु का भी पाया जाता है। ये स्वतंत्र व्यापारी उच्च स्तर के लेखक, सम्पादक, कलाकार, अभिनेता आदि के रूप में जाने जाते हैं। सूर्य की अंगुली का प्रथम पोर अधिक लंबा होने से ये अविष्कारक, वैज्ञानिक, कलाकार भी बन सकते हैं। अनामिका के दूसरी पोर पर खड़ी रेखा होने से महान कीर्ति एवं सर्वत्र यश प्राप्त हो सकता है। ऐसे लोग अधिक परिश्रम करना नहीं जानते। सूर्य रेखा के प्रभाव से धन की अधिकता से व्यसन आदि के शिकार होते हैं। शीर्षरेखा और हृदय रेखा की दूरी अधिक होने से स्वतः के हृदय पर इनका अधिकार नहीं हो पाता। जल्दबाजी के कार्य से इन्हें हानि का सामना करना पड़ता है। चन्द्र क्षेत्र से उत्पन्न होकर बृहस्पति क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। जिसकी सहायता से इच्छानुसार सफलता प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति को अधिकार, विशिष्टता एवं ऊँचा पद प्राप्त होता है। अंत में भाग्य रेखा की शाखाओं द्वारा त्रिशूल का आकार स्पष्ट है। अतः यह राज योग कहा जा सकता है। भाग्य रेखा के शुरुआत में टेढ़ी मेढ़ी रेखाएं होने से बचपन में इन्हें कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। गुरु पर्वत पर वृत्त का चिन्ह होने से उच्च पद की प्राप्ति तथा राजयोग की पुष्टि होगी। बुध क्षेत्र पर जाल होने से स्वतः के कार्यों में कहीं हानि का सामना होगा। जिस कारण पश्चाताप होगा। सूर्य पर्वत पर कई रेखाओं के साथ होने से आर्थिक स्थिति अच्छी होगी। शुक्र पर्वत की ओर से कई बारीक रेखाएं आकर भाग्य 171

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