Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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उपसंहार
वास्तव में हस्तरेखा व सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार देखा जाय तो प्रत्येक मानव के हाथ की रेखायें भिन्न-भिन्न होती हैं तथा सभी के जीवन में कार्यों के दो पहलू हैं :-सकारात्मक और नकारात्मक, आप किसी भी कार्य को इन्हीं दो रूपों में देख सकते हैं। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि आप निर्माण और ध्वंस के मध्य खड़े हैं। यह आप पर निर्भर है कि आप अपने जीवन की घड़ियों का सृजन करते हे या ध्वंस करते हैं। आपके पास समय, शक्ति, श्रम, स्वास्थ्य और जीवन आदि है, अगर आप हृदय में जोश और स्नायुओं में साहस भरकर उन्नति की ओर अग्रसर रहेंगे तो प्रसिद्धि और सम्मान, आपके स्वागत के लिए उपस्थित रहेंगे।
यदि आपने इस पुस्तक का गहन अध्ययन भलीभांति किया है तो आप हस्त पठन करने योग्य हो गये हैं। आरम्भ में शिक्षार्थी को किसी नये विषय की कठिनता आभास होती है, यदि आपको ऐसा अनुभव हो तो चिन्तित होने के बजाय यत्न करें। धीरे-धीरे आपकी कठिनता दूर होती नजर आयेगी। यह ध्रुव सत्य है कि मनुष्य का ज्ञान हमेशा अधूरा रहता है, पूर्ण ज्ञान परमात्मा के अतिरिक्त किसी को नहीं है। इसलिए कभी भी कोई भविष्यवाणी शर्त लगाकर न करें, सदा यही कहें कि ऐसा होने की सम्भावना है।
मां सरस्वती आप के परिश्रम को सफल करे।
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