Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 172
________________ अलग-अलग लोगों से बातें करके सबको उल्लू बनाने में सफल होते हैं। इस हाथ के जातक का बांया हाथ सामान्य है तथा बांये हाथ पर बीचोबीच मस्तिष्क रेखा स्पष्ट अंकित है। जबकि दाहिने हाथ पर यही रेखा स्थान बदल चुकी है और अनामिका के आधार पर हृदय रेखा के निकट आ रही है। आगे चलकर उसे काटती हुई दूर निकल गई है। स्पष्ट है कि यह व्यक्ति अपना जीवन सामान्य रूप से आरम्भ किया। प्रारंभिक जीवन में मस्तिष्क रेखा के प्रभाव से धार्मिक व्यक्ति भी रह चुका है। बाद में विज्ञान एवं औषधि में रुचि हुई। चन्द्र क्षेत्र पर विभिन्न रेखाओं के प्रभाव से धीरे-धीरे इस व्यक्ति की प्रवृत्ति इच्छा के दबाव में बदलती चली गई। सूर्य रेखा के कई खण्ड होने से तथा भाग्य रेखा के विपरीत दिशा से इसमें किसी भी कीमत पर धन अर्जित करने की इच्छा प्रकट हुई। इस व्यक्ति ने कई अपराध किये। परन्तु बुध क्षेत्र पर रेखाओं के प्रभाव से मध्य अवस्था में इसे कानून ने गिरफ्तार कर लिया। सूर्य रेखा पर द्वीप होने से इस व्यक्ति की मान मर्यादा भंग हो गई, परंतु यह पुलिस की गिरफ्त से बच निकला लेकिन अन्यत्र किसी जेल में इसे रहना पड़ा। मस्तिष्क रेखा के निकट से सूर्य रेखा शुरू होने के कारण यह व्यक्तिविशेष का स्वामी था तथा माना हुआ वैज्ञानिक(डाक्टर) था। इसी रेखा के प्रभाव से यह बड़ी सूझ बूझ से कार्य सम्पन्न करता था यह इसकी विशेषता थी। इसने यश और धन भी खूब कमाया। जीवन रेखा बृहस्पति क्षेत्र से शुरू होने के कारण इस व्यक्ति में बचपन से ही महत्वाकांक्षा थी। परन्तु यही रेखा मध्य में विभाजित होकर चन्द्र क्षेत्र में प्रवेश कर गई। यहीं से इसके जीवन में बदलाव आया और धर्म कर्म को छोड़कर दुष्कर्म और शराब के पिछे पड़ गया। मंगल पर्वत से ऊपर उठती हुई रेखा इसके अभिमान को बढ़ाती गई। यह व्यक्ति एक डाक्टर, मेयर के रूप में जाना जाता था। इसने अनेक अमीर लोगों के बड़े बीमें करवाये थे। बीमा करवाने के पश्चात उन्हें विष देकर हत्या करके बीमें की रकम हथियाने की कला के कारण इसपर कई मुकदमें चलाए गये और अनेक वकीलों के प्रयत्नों के बावजूद इसे बिजली की कुर्सी पर बिठाकर प्राण दंड दिया गया। 174

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