Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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दार्शनिक हाथ
दार्शनिक हाथ के स्वामी महत्वाकांक्षी होते हैं तथा मानव जाति और मानवता में दिलचस्पी रखते हैं अंग्रेजी भाषा में ऐसे हाथ को फिलास्पिकल हाथ की संज्ञा दी गयी है। इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के फिलॉस (Philos) शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ है प्रेम का अनुशरण और (Sophia) सोफिया शब्द का अर्थ है प्रबुद्धता दार्शनिक हाँथों की अंगुलियों में गांठें बाहर की ओर उठी होती हैं तथा नाखून कुछ लम्बे होते हैं। ऐसे लोगों को धनोपार्जन में काफी परेशानियाँ होती हैं। ऐसे लोगों में बुद्धि और ज्ञान का महत्व धन, सोने और चांदी से अधिक होता है तथा मानसिक विकाश के कार्यों में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। अपने कार्य-कलाप, व्यापार, फैक्ट्री आदि में आवश्यता, पड़ने पर ठोस प्रमाण के लिए खूब छान-बीन करते हैं। यदि अंगुलियाँ नुकीली होंगी, तो हर कार्य चतुरायी से करने वाले होते हैं। सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अग्रणी रहते हैं तथा सच्चायी को वरीयता देते हैं। ऐसे लोग यदि चित्रकार होते हैं तो उनकी कला में रहस्यवाद झलकता है। कवि होते हैं तो प्रेम और विरह की पीड़ा का वर्णन न होकर दार्शनिक बातों का उल्लेख पाया जाता है। ये ज्ञान को ही शक्ति और अधिकार देने वाला मानते हैं और अन्य लोगों से भिन्न रहना चाहते हैं। जीवनवीणा के हर तार और उसकी धुन से ये परिचित होते हैं उद्देश्य पूर्ति हेतु हर सम्भव प्रयास करते हैं तथा ऐसे हाथ भारत में ज्यादा देखने को मिलते हैं। यदि दार्शनिक हाथ अधिक उन्नत एवं विकसित होता है तो ऐसे लोग धर्मात्मा बन जाते हैं और रहस्यवाद की सीमा पर अतिक्रमण कर जाते हैं। कुछ दार्शनिक हाथ कोमल और कुछ नुकीली अंगुली वाले होते हैं। इस प्रकार के हाथ वाले बातचीत में निपुण, हर विषय को समझने की क्षमता, तत्काल निर्णय की भावना, मित्रता, प्रेम, अनुराग में परिवर्तन की चेष्टा, भावुक सहसा क्रोधी, उदारता, सहानुभूति तथा कभी-2 स्वार्थी होते हैं। जब इस प्रकार का कठोर हाथ हो तो कलाप्रिय, दृढ़संकल्प, राजनीतिज्ञ, रंगमंच के ज्ञाता, होते हैं। गायिका का हाथ अगर इस प्रकार का हो तो
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