Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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रवि क्षेत्र-सूर्य क्षेत्र पर जाल होने से व्यक्ति समाज में निन्दा तथा उपहास का पात्र बन जाता है। चन्द्र क्षेत्र-चन्द्र क्षेत्र पर जाल होने से व्यक्ति निरन्तर चंचल स्वभाव युक्त, अधीर एवं असन्तुष्ट रहता है। मंगल क्षेत्र-मंगल क्षेत्र पर जाल होने से मानसिक अशान्ति एवं उद्विग्नता रहती है। बुध क्षेत्र-बुध क्षेत्र पर जाल होने से व्यक्ति को स्वतः के कार्यो में हानि का सामना एवं पश्चाताप होता है। गुरु क्षेत्र-गुरु क्षेत्र पर जाल होने से व्यक्ति घमण्डी, स्वार्थी और निर्लज्ज हो जाता है। शुक्र क्षेत्र-शुक्र क्षेत्र पर जाल होने से भोगी, लम्पट, अधीर तथा कामातुर होता है। शनि क्षेत्र-शनि क्षेत्र पर जाल होने से व्यक्ति आलसी, कंजूस अर्कमण्य एवं अस्थिर चित्त वाला होता है। राहु-राहु केतु क्षेत्र पर होने से व्यक्ति द्वारा जीवन हत्या जैसे अपराध होते हैं एवं दुर्भाग्य का सामना होता है। केतु क्षेत्र-केतु क्षेत्र पर जाल होने से चेचक या चर्म रोग जैसे रोगों का सामना होता है।
मत्स्य (मछली) यह मणिबन्ध के उपर भाग्य रेखा या आयु रेखा किसी एक में भी हो सकती है या दोनों में इसे शुभ चिह्न माना जाता है। बृहस्पति भी ऐसे व्यक्ति को हाथ में जिनके मत्स्य रेखा होती है, वह अच्छा होता है। वह मीन का बृहस्पति ज्योतिष के अनुसार अपने राशि का स्वामी होगा। मत्स्य रेखा वाला व्यक्ति धार्मिक, उदार, दानी और समाज में प्रतिष्ठित होगा। मत्स्य रेखा का उपरी भाग जितना अधिक नुकीला होगा उतना ही अधिक समय तक सुख प्राप्त होगा। स्त्रियों के हाथ में इस रेखा के होने से अच्छे पति