Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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प्रत्येक मनुष्य के हाथ में कुछ गौण और कुछ मुख्य रेखायें होती हैं ये रेखायें मनुष्य के चारित्रिक गुणों को उत्पन्न करने वाली होती हैं अतः
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इनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति भी हो सकती है ।
प्रत्येक मनुष्य के हाथ में कुछ गौण और कुछ मुख्य रेखायें होती हैं। ये रेखायें मनुष्य के चारित्रिक गुणों को उत्पन्न करने वाली होती है अतः इनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति भी हो सकती है।
मुख्यतः रेखायें चार प्रकार की होती हैं।
1. गहरी रेखा - यह रेखा पतली होने के साथ - 2 गहरी (मोटी) भी होती है।
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2. बलुआ रेखा यह रेखा शुरू में मोटी होती है तथा ज्यों-जयों आगे बढ़ती जाती है, त्यों-त्यों पतली होती जाती है।
3. पतली रेखा - वह रेखा शुरु से आखिर तक एक आकार (पतली) में होती है।
4. मोटी रेखा यह रेखा चौड़ायी लिये होती है और पूर्णतः स्पष्ट होती है ।
मनुष्य के हाथ में गहरी, स्पष्ट और सरल रक्त वर्ण की, हृदय रेखा व्यक्ति को मानवीय गुणों से सम्पन्न करती है। दाहिने हाथ की ह्रदय रेखा जितनी ज्यादा साफ और गहराई लिये होगी व्यक्ति उतना ही अधिक सरस, न्यायप्रिय तथा परोपकारी माना जाता है। किन्तु हृदय रेखा यदि कटी, टूटी या अस्पष्ट होगी, तो व्यक्ति देखने में, चाहे जितना सज्जन क्यों न हो वह दिल से पापी और कलुषित होगा। ऐसा व्यक्ति असभ्य, बद्दलन चरित्रहीन विवेकशून्य आदि अवगुणों वाला होगा।
ऐसे व्यक्तियों का आसानी से यकीन करना अपने आप को धोका देने के बराबर है। इसका हृदय से सीधा सम्बन्ध माना गया है। जो कि जीवन का प्राथमिक अंग है, जहां से संचालन का नियन्त्रण होता है।
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