Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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Luck, Prestige, Progress and Downfall
भाग्य, यश उन्नति अवनति
सूर्य रेखा, जीवन रेखा की जड़ से उदित होकर बृहस्पति पर्वत पर तारक चिह्न में समाप्त -उच्च भाग्य की सूचक । • मणिबन्ध का पहला वलय जंजीरदार, परन्तु सम तथा निर्बाध सूर्य रेखा त्रिकोण के निचले भाग से उदित, साथ में अच्छी भाग्य रेखा-श्रमपूर्ण जीवन के पश्चात सफल भाग्योदय। • तर्जनी उंगली के दूसरे पूर्व पर एक या दो क्रास चतुर्भुज के अन्दर से बुध पर्वत को एक पुष्ट रेखा। गहरी सूर्य रेखा, साथ में दोनों हाथों में पुष्ट बृहस्पति पर्वत-बड़े लोगों की मित्रता से लाभ। • बृहस्पति तथा शनि पर्वतों के बीच में से उठती हुई हृदय रेखा शनि पर्वत सुविकसित तथा किरणविहीन चन्द्र पर्वत पर कोई चिह्न अथवा संयोग रेखा नहीं -नकारात्मक सुख की सूचक। • कनिष्ठा उंगली की जड़ से एक रेखा बुध पर्वत को झुकती हुई- बड़े लोगों की मित्रता से सम्मान । • भाग्य रेखा चन्द्र पर्वत से उदित तथा बृहस्पति क्षेत्र से आरम्भ हृदय रेखा में लोप-अप्रत्याशित सत्ता की सूचक। • अंगूठा हाथ में बहुत नीचे-सामान्य प्रतिभा। • सूर्य पर्वत पर एक क्रास, भाग्य रेखा शाखाओं के साथ मणिबन्ध से आरम्भ-विफलताओं की सूचक । • जीवन रेखा से मणिबन्ध को जाती हुई छोटी-छोटी रेखायें-जीवन में निराशा की द्योतक। • शनि पर्वत के नीचे मस्तिष्क तथा जीवन रेखा का मिलन दूसरी उंगली के पहले पर्व पर तारक चिह्न-घातक घटनायें।
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