Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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क्या हमारे जीवन को बनाने और नियन्त्रित करने वाले किसी अदृश्य, नियम, या किसी रहस्यमय कारण अथवा शक्ति में विश्वास करना कठिन है? यदि एक बार भी हमें ऐसा प्रतीत हो तो भी हमें उन अनेक बातों पर विचार करना चाहिए जिनका आधार उनसे कम ठोस है। लेकिन हम उन पर विश्वास करते आये हैं। यदि हम स्थिर विचार करें तो हमें स्वीकार करना पड़ेगा, कि अनेक धर्म, विचार, धारणाएँ और सिद्धान्त हैं जिनके प्रति न केवल जनसमूह के मन में आस्था है बल्कि बुद्धिजीवियों के ठोस विश्वास के भी केन्द्र रहे हैं। इस प्रकार मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता भी है और दास भी है। वह केवल अपने अस्तित्व या अपनी विद्वता से ऐसे विधान सक्रियता में लाता है जिनकी प्रतिक्रिया उस पर होती है और उसके माध्यम से दूसरों पर होती है। जो वर्तमान है वह अतीत का परिणाम है और जो भविष्य में होने वाला है उसका कारण भी वर्तमान है। विगत जीवन के कर्म ही वर्तमान को प्रभावित करते हैं, और वर्तमान के कर्म भविष्य पर अपना प्रभाव डालते हैं। मानव जीवन का यही क्रम है, जो सृष्टि के आरम्भ से चला आ रहा है और जब तक सृष्टि है यह क्रम इसी प्रकार चलता रहेगा। हम जिस मत का अनुपालन और अनुमोदन कर रहे हैं, वह समाज के सभी वर्गों के लिए उपयुक्त होगा। अपनी निःस्वार्थ भावनाओं द्वारा लोगो को ऊंचा उठायेगा और उनके दृष्टिकोण को उदार तथा विस्तृत बनायेगा। हठधर्मिता के स्थान पर उन्हें सत्य की सच्चाई दिखाई देगी। दूसरी ओर प्रारम्भ या भाग्यवाद पर सच्ची आस्था रखने वाला व्यक्ति अपने हाथों को रोककर प्रतीक्षा नहीं करेगा। वह उनसे काम लेगा। सन्तोष और तत्परता से अपने काम में जुट जाएगा यही विश्वास लेकर कर्मपथ पर अग्रसर होगा।
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