Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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11. The Line of Marriage
अध्याय - 11 विवाह रेखा
विवाह रेखा के नाम से जानी जाने वाली रेखाएं बुध क्षेत्र पर होती हैं। वैसे तो ये रखाएं विवाह से सम्बन्धी रीति और धर्म मर्यादा को मान्यता नहीं देती हैं। यह तो प्रेम से या किसी विपरीत लिंगी संबंधों को जो कि प्रभावित करे उसे ही स्पष्ट करती है। विवाह व्यक्ति के जीवन की एक प्रभावशाली और विशिष्ट घटना है, इस रेखा द्वारा यह ज्ञात होता है कि विवाह कब होगा या किसी महिला से घनिष्ट सम्बन्ध कब होगा और कैसा होगा। विवाह से संबंधित विचार करने हेतु इस रेखा के अलावा अनेक चिह्नों एवं संकेतों का भी विचार करना होता है। विवाह रेखा जो लम्बी हो वही विवाह का सूचक है। 1.अ. जब कोई रेखा सारे हाथ को काटकर विवाह रेखा का स्पर्श करे तो विवाह टूट जाता है। 1.ब. एक ही विवाह रेखा होना अधिक शुभ माना जाता है। 1.स. विवाह रेखा के ऊपरी भाग में एक अतिरिक्त शाखा होने पर पति पत्नी में भिन्नता
या मतभेद रहता है। 2.अ. यदि विवाह रेखा कनिष्ठा की ओर झुकी होगी तो व्यक्ति विवाह के पक्ष में नहीं होता या फिर अविवाहित रहता है। 2.ब. जहां विवाह रेखा एक से अधिक होती है वहां ऊपरी रेखा प्रभावी मानी जाती है। 2.स. चन्द्र पर्वत से जाती हुई भाग्य रेखा विवाह के बाद भाग्योदय करती है।
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