Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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1.अल्पभाषी एवं स्वभाव लज्जा युक्त। 2. द्वितीय विवाह के विरोधी, उदार, प्रेमी पर अधिकार, भावना संतान सुख । 3. वासना से हानि, यव होने पर मान हानि एवं कारावास । 4. दुर्घटना आदि का भय। 5. दुःखी हृदय, स्वयं को नष्ट करने की चेष्टा, यही चिह्न कुछ आगे मंगल क्षेत्र पर होने से युद्ध क्षेत्र में वीरगति । 6. विवाह टलने की आशंका, विवाह में बाधाएं । 7. विधवापन, भीषण दुर्घटना, पति लापता। 8. अविवाहित, विवाह न होना। 9. विधवापन के रेखा की पुष्टि। 10. रोका गया विवाह। 11. विवाह में विघ्न बाधायें । 12. विवाह सम्बन्ध में निराशा, विवाह सम्बन्धी कष्ट । 13. सुन्दर स्त्री को देखकर शीघ्र लालायित होना। 14. अचानक भीषण घटना, मृत्यु सम्भावित। 15. प्राण रक्षा। 16. शुक्र पर्वत उच्च होने से यह निशान हो तो कामुक वृति, चारित्रिक दुर्बलता, अनैतिकता एवं अनेक बुराइयां। 17. विवाह से असन्तोष। 18. विवाह रेखा शनि पर क्रास ग चिह्न शुक्र मुद्रिका युक्त किसी स्वार्थ के कारण घटना। 19. निकट सम्बन्धी से विवाह (दोषपूर्ण रवैया के कारण) 20. जीवन भर पुराना प्रेम दिमाग में मौजूद । 21. संतान रेखायें (पौर्वात्य पद्धतिनुसार) विवाह कब होगा
हृदय रेखा के निकट विवाह रेखा होने से जातक का विवाह 15 से 19 वर्ष में होगा। यदि यह रेखा बुध क्षेत्र के मध्य में हो तो 20 से 27 वर्ष में तथा उससे अधिक ऊपर की ओर होने से 28 से 38 के उम्र में विवाह का योग होता है। परन्तु इसका पूर्ण निर्णय भाग्य रेखा और जीवन रेखा को देखकर ही किया जा सकता है।
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