Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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3.अ. अंगूठा दुबला हो हृदय रेखा में कुछ अलग सा कटापन हो तथा शुक्र मुद्रिका में कटापन हो तो ऐसी स्थिति में हिस्टीरिया जैसी बीमारी होती है तथा काम वासना विवाह के बाद भी पूरी नहीं होती। 3.ब. विवाह रेखा के ठीक नीचे हृदय रेखा पर दोनों ओर तिरछी रेखा होने से व्यक्ति वासना और प्रेम का अर्थ नहीं समझता तथा इनमें कामातुरता अधिक पायी जाती है। 3.स. यदि विवाह रेखा इतनी लम्बी हो कि सूर्य रेखा को काटे तो व्यक्ति को विवाह से मान मर्यादा, व सम्मान को धक्का लगेगा। 4.अ. यदि कोई शाखा आकर भाग्य रेखा में मिले तो समझना चाहिए कि उसका विवाह हो चुका है। 4.ब. विवाह रेखा के ऊपरी भाग में छोटी सी
समांतर रेखा होने से पति पत्नी का संबंध कुछ दिनों के लिए विच्छेद हो जाता है, पुनः पूर्ववत स्थिति हो जाती है। 4.स. विवाह रेखा के अंत में क्रास होना अत्यन्त अशुभ है, ऐसी स्थिति में दाम्पत्य जीवन में कोई अशुभ घटना होती है। 4.द. विवाह रेखा के बीच में द्वीप होने से
या यव होने से विवाह में तकलीफें आती है। 5.अ. विवाह रेखा इतनी लम्बी हो कि आयु रेखा को काटकर आगे चली जाय या मंगल पर्वत पर जाये तो इस हालत में तलाक हो सकता है।
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