Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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मिश्रित हाथ
जिस हाथ में कई प्रकार की अंगुलियाँ पाई जाती हैं उसे मिश्रित हाथ कहते हैं। ये हाथ और अंगुलियां किसी एक प्रकार के नहीं होते। अतः इसमें शुभ और अशुभ दोनों गुण विद्यमान होते हैं ऐसे व्यक्ति एक ओर दयालु होते हैं और दूसरी ओर क्रोधी होना इनका स्वभाव होता है। बार-2 परिवर्तन इनकी विशेषता होती है। समाज में ऐसे लोगों का कोई सम्मान नहीं होता तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कठिनता होती है। ऐसे हाथों को किसी एक श्रेणी में नहीं सामिल किया जा सकता । मिश्रित हाथ के स्वामी चतुर तो होते हैं परन्तु बुद्धि का प्रयोग करते समय संयमित नहीं होते हैं। ऐसे लोग कई तरह के कार्य एक साथ ही करते हैं तथा उसे अंजाम देने के समय कदम लड़खड़ा जाता है और नुकसान कर बैठते हैं। ऐसे हाथ की अनामिका अगर बड़ी होती है, तो जुआ, सट्टा, लाटरी आदि कार्य करते हैं। ऐसे लोग कई क्षेत्रों में प्रतिमा स्थापित करते हैं स्वतः के विचारों में विभिन्नता होती है तथा दूसरे के विचारों को सहजता से स्वीकार करते हैं। हर प्रकार के कार्य में खुश रहते हैं और जन समूह में ज्यादा तर्क-वितर्क करने से बचते हैं लेकिन अलग-अलग लोगों से बातें करके सबको उल्लू बना सकते हैं । इनके अंगूठे का आकार छोटा होता है, इनका चित्त स्थिर नहीं होता। प्रत्येक कार्य को अंजाम देने से पूर्व मध्य काल में स्थगित कर देना इनका स्वभाव होता है। परिणाम स्वरूप असफलता ही हाथ आती है और जीवन में निराशापन ज्यादा होता है तथा जीवन में सफलता के लिए अधिकाधिक संघर्ष होता है ।
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