Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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समझने में माहिर होते हैं। गुरु क्षेत्र में त्रिभुज होने से व्यक्ति चतुर, कार्य में दक्ष, कुशाग्र बुद्धि वाला एवं सदैव उन्नति की आकांक्षा वाला होता है। ऐसे व्यक्ति धूर्त एवं सफल कूटनीति वाले भी होते हैं। लोगों को अपने प्रभाव में रखने की कला इनमें खूब होती है त्रिभुज में दोष होने पर व्यक्ति घमण्डी, बातूनी तथा स्वयं की तारीफ करने वाला होता है। शुक्र क्षेत्र में निर्दोश त्रिभुज होने से व्यक्ति का आंशिक मिजाज, सरल तथा सौम्य स्वभाव का स्वामी होता है। ऐसे व्यक्ति ललित कला, संगीत, नृत्य आदि में रुचि रखने वाले होते हैं। दूषित त्रिभुज होने से व्यक्ति को कामान्ध बनाता है। अगर स्त्री के हाथ में ऐसा त्रिभुज होगा, तो वह परपुरुष गामिनी होती है। शनि क्षेत्र पर निर्दोष त्रिभुज होने से व्यक्ति तंत्र-मंत्र साधना में दक्ष एवं गुप्त विद्या तथा वशीकरण का ज्ञाता होता है। दोषपूर्ण त्रिभुज होने पर व्यक्ति को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का ठग एवं धूर्त बनाता है। हृदय रेखा पर यह चिह्न होने से लेखन कार्य में ख्याति प्राप्त होती है। भाग्य रेखा पर होने से भाग्योन्नति में बाधाएं आती हैं। चन्द्र रेखा पर होने से विदेश यात्रायें होती हैं। विवाह रेखा पर होने से विवाह में बाधा होती है। आयु रेखा पर होने से दीर्घायु मिलती है।
वर्ग
चार भुजाओं से घिरे हुए क्षेत्र को वर्ग कहते हैं। कुछ लोगों के मत से इसे समकोण भी कहा जाता है। जब एक सुविकसित वर्ग से होकर भाग्य रेखा निकल रही हो तो व्यक्ति के भौतिक जीवन में यह संकट का द्योतक है। जिसका सम्बन्ध आर्थिक दुर्घटना या हानि से है। परन्तु वर्ग को पार करके आगे बढ़ती हुई भाग्य रेखा खतरा नहीं उत्पन्न करती। जब वर्ग रेखा से बाहर हो तथा स्पर्श मात्र हो एवं शनि पर्वत के नीचे हो तो यह दुर्घटना से रक्षा का सूचक है। जब मस्तिष्क रेखा सुनिर्मित वर्ग से निकलती है तो यह स्वयं मस्तिष्क की शक्ति और सुरक्षा का चिह्न माना जाता है। जब वर्ग मस्तिष्क रेखा के ऊपर