Book Title: Saral Hastrekha Shastra
Author(s): Rameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
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निम्न श्रेणी का हाथ
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इस प्रकार के हाथ के स्वामी में विषमभावना की पाशविकता पायी जाती है तथा ये व्यक्ति भावशून्य या मूर्ख कहे जा सकते हैं। इनके शरीर के भीतरी मन में महत्वाकांक्षा नहीं होती है। स्नायु केन्द्र अविकसित होता है एवं मनोवृत्ति पशुओं जैसी होती है। इन्हें शारीरिक पीड़ा कम होती है तथा दूसरे के दर्द का अनुभव नहीं होता है। वास्तव में ये मानव के रुप में दो पैर के पशु कहे जा सकते हैं। कभी-2 सभ्य राष्ट्रों में भी ये हाथ पाये जाते हैं। इन्हें अविकसित हाथ भी कहा जाता है। इस प्रकार का हाथ सभ्य जातियों या वर्गों में कम पाया जाता है। ऐसे हाथ प्रायः अधिक ठण्डे स्थानों में जैसे रूश का उत्तरीभाग, लेपलैण्ड, आइसलैण्ड आदि भागों में "आदिम जातियों में पाये जाते हैं। जिनमें सामाजिक गुणों की कमी पायी जाती है। आदर्श हाथ
आदर्श हाथ के स्वामी कठिन कार्यों में असफल रहते हैं तथा ये कुछ संवेदनशील होते हैं इनके विचार भी भौतिक पदार्थों के अनुकूल नहीं होते। इनकी कल्पना में वह बुद्धिमता दिखायी देती है जो सभी प्रकार की चीजों का औचित्य और उपयोगिता निर्धारित करती है। ऐसे हाथ किसी विशेष जाति या देश तक सीमित नहीं है। ये हाथ लगभग सभी देशों में पाये जाते हैं। ऐसे लोग अल्प व्यवहारकुशल होते हैं।
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