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'मेरे' का पुल मत जोड़ो। मकान और आप दोनों अलग-अलग हैं। नदी के दोनों तट जुदेजुदे हैं। उन्हें जुदे ही रखो। सेतु बना लिया, तो द्वैत रहा कहां। फिर तो एक हो गया, जोड़ हो गयी। किसी अंक को किसी अंक से जोड़ना, यही है राग इसी को कहते है सम्मोहन। जोड़ो मत। हर अंक का स्वतंत्र अस्तित्व रहने दो। ___ आप संसार में रहते हैं। भले ही रहें, पर उसके साथ मेरेपन का सेतु न जोड़ें। यह न कहें कि मेरा संसार है। 'मेरा संसार' कहने का मतलब यह है कि आपने अपने अन्तरंग में संसार को बसा लिया है। संसार में रहने में कोई अड़चन नहीं है, अपितु अपने भीतर संसार बसा लेने में अड़चन है। कमल का फूल कीचड़ में जनमता है और कीचड़ में ही खिलता है। कमल का कीचड़ में जनमना या खिलना अनुचित नहीं है। अनुचित तो तब है जब कमल की पंखुड़ियों पर कीचड़ आ आए। यह कीचड़ कमल की पंखुड़ियों से तभी जुड़ पाता है जब कीचड़ से मेरेपन का, सम्मोहन का संबंध जुड़ता है। कीचड़ कमल के लिये तब घातक हो जाता है जब कमल कहता है 'मेरा कीचड़।
आप कहते हैं मेरा मकान, मेरी पत्नी, मेरा पति, मेरा भाई, मेरी बहन, मेरा बेटा, जहांजहां पर मेरा आया वहां-वहां आप बंधे। क्योंकि सम्मोहन बंधन है, राग का रिश्ता है। आप राग से जितना जुड़ेंगे आपका संसार उतना ही बढ़ता चला जाएगा। वासनाएं भी उतनी ही फैलती चली जाएगी। संसार भी एक वासना ही है जिसमें सब लोग जकड़े हैं।
आदिवासियों में एक जाति है 'होबी'। इस जाति के लोग भाषा-प्रयोग में बड़े प्रज्ञासिद्ध हैं। उनकी बोली जमी और सधी है। वे यह नहीं कहते कि 'यह मेरा लड़का।' 'मेरा कहना वे पाप समझते हैं, यहां जो कुछ है, वह मेरा नहीं, तेरा है, परमात्मा का है। इसलिए वे मेरा नहीं कहते। वे अपने पुत्र का परिचय यों देते हैं यह वह है जिसने हमारे घर जन्म लिया।' पुत्र पिता के लिए कहता है, ये वे हैं, जिसके साथ हम रहते हैं। ___ संसार का सारा रिश्ता मेरेपन के सम्मोहन में है। जैसे-जैसे आप मेरेपन को आगे से आगे बढ़ाते हैं, वैसे-वैसे आप अपने आपको फैलाते चले जा रहे हैं। जिससे आप कमाते हैं वह भी मेरा। जिससे आप सेवा लेते हैं वह भी मेरा। जिससे आप इलाज कराते हैं वह भी मेरा। जिससे आप अपना मकान बनाते हैं वह भी मेरा। जिसके पड़ोस में रहते हैं वह भी मेरा। जिस देश में जनमते हैं वह भी मेरा। ऐसे ही तो होता है 'मेरे' का फैलाव। मेरा नौकर, मेरा मालिक, मेरी दुकान, मेरा डाक्टर, मेरा इंजीनियर, मेरा वकील, मेरा पड़ौसी, मेरा देश-यह मेरे का फैलाव अंधियारे का फैलाव है। 'मेरा' जितना फैलेगा स्वयं के
संसार और समाधि
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-चन्द्रप्रम
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