Book Title: Sansar aur Samadhi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 108
________________ आत्म-मूल्यों को आत्मसात् करने के लिए चाहिए सहजता। सहजता पूरी तरह से हो, तो जगत् से संघर्ष एवं तनाव के प्रक्षेपणास्त्र न्यूनतर हो सकते हैं। सहजता ही परमात्म-दर्शन और आत्म-दर्शन की प्राथमिक भूमिका है। ____ अपने अहंकार और दूसरों की निन्दा-उपेक्षा से दूसरों का अहित होता है कि नहीं होता, पर अपना जरूर होता है। व्यक्ति दूसरों की निन्दा करेगा, तो भी आखिर वह अपनी ही कमजोरी का बखान होगा। वह अपनी ही हीनता और दरिद्रता की घोषणा होगी। अकड़े रहेगा, तो अपनी नजर में वह भले ही बड़े होने का सुख महसूस कर ले, पर दुनिया उससे कटेगी, दूर सरकेगी। इसलिए स्वयं पर दया कीजिये और अपने अकल्याण से बचिये। हम सीखें अपने आपसे प्यार करना; आत्म मूल्यों का महत्त्व आंकना। सहज बनना सबके लिए विशुद्ध प्रेम एवं अपनत्व का जन्म है। संसार और समाधि 97 -चन्द्रप्रभ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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