Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti Bhinmal

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Page 16
________________ विषय कलह द्वार हरिकेशीबल की कथा कलह द्वार हरिकेशीबल की कथा हरिकेशीबल की कथा अभ्याख्यान पाप स्थानक द्वार-रुद्र और अंगर्षि की कथा अरति रति द्वार-क्षल्लक कुमार मुनि की कथा समाधि लाभ द्वार-क्षल्लक कुमार मुनि की कथा पैशुन पाप स्थानक द्वार सुबंधु मंत्री और चाणक्य की कथा परिवाद पाप स्थानक द्वार सती सुभद्रा की कथा माया मृषावाद पाप स्थानक द्वार कूट तपस्वी की कथा मिथ्या दर्शन शल्य पाप स्थानक द्वार जमाली की कथा जालिमद द्वार जातिमद द्वार ब्राह्मण पुत्र का दृष्टांत कुलमद द्वार-मरिचि की कथा रूपमद द्वार दो भाइयों की कथा बलमद द्वार मल्लदेव की कथा श्रुतमद द्वार - स्थूलभद्र की कथा तपमद द्वार हूढ़ प्रहारी की कथा लाभमद द्वार ढंढणकुमार का हृष्टांत ऐश्वर्यमद द्वार - दो व्यापारियों की कथा क्रोधादि निग्रह नामक तीसरा द्वार प्रमाद त्याग नामक चौथा द्वार लौकिक ऋषि की कथा मांसाहार और उसके दोष अभयकुमार की कथा कंडरीक की कथा अगड़त की कथा पाँचवा प्रतिबंध त्याग द्वार सम्यक्त्व नामक छठा द्वार श्री अरिहंतादि छह की भक्ति नामक सातवाँ द्वार एवं कनकरथ की कथा श्री अरिहंत की भक्ति पर कनकरथ राजा की कथा पंच नमस्कार नामक आठवाँ द्वार श्रावक पुत्र का दृष्टांत-श्राविका की कथा श्राविका की कथा - हुंडिका यक्ष का प्रबंध सम्यग्ज्ञानोपयोग नामक नौवाँ द्वार यव साधु का प्रबंध X Jain Education International पृष्ठ २६२ २६३ २६४ २६५ २६६ २६७ २६८ २६९ २७० २७१ २७२ २७३ २७५ २७६ २७७ २७९ २८१ २८३ २८५ २८८ २८९ २९१ २९४ २९५ २९६ २९७ ३०० ३०३ ३०६ ३१४ ३१५ ३१७ ३१८ ३१९ ३२४ ३२५ ३२६ ३२८ विषय पंच महाव्रत रक्षण नामक दसवाँ द्वार चारुदत्त की कथा पुत्रवधुओं की कथा ग्यारहवाँ चार शरण द्वार बारहवाँ दुष्कृत गर्हा द्वार तेरहवाँ सुष्कृत अनुमोदना द्वार भावना पटल नामक चौदहवाँ द्वार नग्गति राजा की कथा सेठ पुत्र की कथा सेठ पुत्र की कथा तापस सेठ की कथा श्री महावीर प्रभु का प्रबंध सुलस और शिवकुमार की कथा शौचवादी ब्राह्मण का प्रबंध शिवराजर्षि की कथा वणिक पुत्र की कथा शील पालन नामक पंद्रहवाँ द्वार इन्द्रिय दमन नामक सोलहवाँ द्वार श्रोत्रेन्द्रिय की आसक्ति का दृष्टांत चक्षु इन्द्रिय का हृष्टांत गंध में गंध प्रिय का प्रबंध सोदास एवं ब्राह्मण की कथा तप नामक सतरहवीं द्वार ब्रह्मदत्त का प्रबंध पीठ, महापीठ मुनियों की कथा नंद मणियार की कथा प्रतिपत्ति नामक दूसरा द्वार सारणा एवं कवच नामक तीसरा, चौथा द्वार कवच नामक चौथा द्वार समता नामक पाँचवा द्वार ध्यान नामक छट्टा द्वार लेश्या नामक सातवाँ द्वार छह लेश्या का दृष्टांत दूसरा दृष्टांत फल प्राप्ति नामक आठवीं द्वार विजहना नामक नौवाँ द्वार ग्रंथकार की प्रशस्ति For Personal & Private Use Only पृष्ठ ३२९ ३३७ ३४३ ३४४ ३४८ ३५४ ३५६ ३५७ ३५८ ३५९ ३६० ३६१ ३६२ ३६३ ३६५ ३६७ ३७२ ३७३ ३७५ ३७६ ३७७ ३७८ ३७९ ३८० ३८३ ३८४ ३८७ ३९३ ३९४ ३९८ ३९९ ४०१ ४०२ ४०६ ४१६ www.jainelibrary.org.

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