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Vol. XXXVI, 2013
स्वातन्त्र्योत्तर भारत में पाण्डुलिपियों का संग्रह एवं सूचीकरण
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पाण्डुलिपियाँ थी जिसमें प्रथम भाग में ३५८ पाण्डुलिपियों का विवररण है। १९९२ में द्रविण प्रबन्धम् एवं रहस्यप्रबन्धम् से सम्बन्धि १०११ पाण्डुलिपियों की सूची प्रकाशित हुई जिसके संकलन में विद्वान् वीरराघवन्, विद्वान् वी.एस्.विजयराघवन्, विद्वान वी. वी. रामप्रिया तथा विद्वान् वी. सौम्यनारायण ने सहायता की । २००० में ASR Series-35 में अद्वैत एवं द्वैत से सम्बन्धित २८५ पाण्डुलिपियों की सूची का संकलन विद्वान् एच. एस. हनुमन्तराव ने किया । १९८९ में ही The Research and Publication Department, जम्मू एवं काश्मीर सरकार, श्री नगर से A Catalogue of Sanskrit Manuscripts तैयार किया गया लेकिन प्रकाशित नहीं हुआ है। इस सूची को वहाँ के उपनिदेशक ने तैयार किया था जिसमें ४८३८ पाण्डुलिपियों की सूची है जो प्रायः संस्कृत भाषा एवं शारदा लिपि में हैं। Abrol Manuscripts and Rare Books Library, १९७ गली ताँगा वाली, जम्मूतवी से ६५ पाण्डुलिपियों की एक सूची भी प्रकाशित हुई है। Computerised International Catalogue of Tamil Palm leaf Manuscripts (Volume 1 to 5 का प्रकाशन तमिल विश्वविद्यालय, तञ्जावर से हुआ जिसमें २१९७३ पाण्डुलिपियों का विवरण हा । इस सूची का सम्पादन K. C.
Chellamuttu ने किया जो उस समय कम्प्यूटर विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष थे। १९९० : दिगम्बर जैन अतिशय मन्दिर, जयपुर की पाण्डुलिपियों की सूची का प्रकाशन दिगम्बर
जैन अतिशय मन्दिर, महासंघ, जयपुर से हुआ । १९९०-१९९८ : इन्स्टीट्यूट ओफ् एशियन स्टडीज, तिरुवन्म्यूर, चेन्नई के संग्रह में तमिल लिपि एवं भाषा
में पाण्डुलिपियों का संग्रह है। पाण्डुलिपियों की मानुष् डेटाशीट तैयार करने का कार्य इन्दिरा गान्धी राष्ट्रीय कलाकेन्द्र के माध्यम से प्रारम्भ हुआ था। उसी समय यहाँ की प्रथम सूची का प्रकाशन डॉ. शु हिकोसाका एवं डॉ. जॉन सैमुअल के प्रधान सम्पादकत्व में प्रो. एम्. षण्मुखम् पिल्लई ने सम्पादित किया । जिसका प्रकाशन भी इन्स्टीट्यूट से हुआ । प्रो. षण्मुखम् ने भाग-१, खण्ड एक एवं दो; भाग-२, खण्ड-एक एवं दो; के सम्पादन के साथ २३९७ पाण्डुलिपियों का विवरण प्रस्तुत किया । ये भाग क्रमशः १९९०, ९१ एवं ९२ में प्रकाशित हुए । १९९३ में भाग-३ एवं ४ के खण्ड-एक एवं दो का सम्पादन डॉ. ए. थसराथन् ने १२६६ पाण्डुलिपियों के सूची के साथ किया । १९९६, ९७ एवं ९८ में क्रमश: भाग-४, खण्ड एक एवं दो; भाग-५, खण्ड-एक एवं भाग-५, खण्ड-दो का प्रकाशन हुआ जिसका सम्पादन डॉ. पी. सुब्रमनियम् एवं डॉ. के. जयकुमार ने किया । पाटन के लगभग १७ जैन भण्डार जिनका एकीकरण हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञान मन्दिर के
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