________________
Vol. XXXVI, 2013
स्वातन्त्र्योत्तर भारत में पाण्डुलिपियों का संग्रह एवं सूचीकरण
207
१९९८
: १९८२ में भुवनेश्वर में केदारनाथ गवेषणा प्रतिष्ठान की स्थापना के साथ वहाँ उपलब्ध पाण्डुलिपियों की सूची बनाने का कार्य प्रारम्भ हुआ । १९९८ में प्रकाशित इसके प्रथम भाग में २४२ पाण्डुलिपियों की सूची प्रकाशित हुई । इस सूची के साथ-साथ सम्पादक भगवान पण्डा जी ने ओडिया लिपि के उद्गम एवं विकास से सम्बन्धित एक तालिका भी जोड़ी है। १९९८ में संस्कृत अभिलेखों से सम्बन्धित Descriptive Catalogue of Sanskrit Inscriptions (from 300 B.C. to 19th Cent. A.D.) का प्रकाशन, नाग पब्लिशर्स, ११ यू. ए. जवाहर नगर, दिल्ली के द्वारा प्रारम्भ हुआ । इसके चार भाग क्रमशः १९९८, ९९ एवं २००० में प्रकाशित हुये । सम्पादक प्रोफेसर पुष्पेन्द्रकुमार जी ने यद्यपि मूल अभिलेखों का चित्र नहीं दिया है फिर भी एक साथ सम्पूर्ण सूची प्रस्तुत कर इस क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है विशेषरूप से हिन्दी भाषा में इस तरह की सामग्री का अभाव था ।
१९९९
.२००० .
१९९८ में ही Descriptive Catalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts - in the Library of the Bombay Branch of the Asiatic Society के प्रथम भाग
का प्रकाशन, मुम्बई से हुआ । यह इस सूची का द्वितीय संस्करण है। : प्राच्यविद्या संशोधन केन्द्र, कूत्ताप्पाड़ी, तम्मनम्, कोच्चि के संस्कृत हस्तलिखित ग्रन्थ सूची
के भाग-एक का सम्पादन डॉ. एस् वेङ्किटसुब्रह्मण्य अय्यर् ने किया जिसका प्रकाशन सुकुतीन्द्र इण्डोलोजिकल सीरीज सं.-४ में हुआ । इसमें १४०२ पाण्डुलिपियों का विवरण है । यह विवरणात्मक सूची है। : रामपुर रज़ा पुस्तकालय, रामपुर, अरेबिक एवं पर्सियन भाषा की पाण्डुलिपियों के साथसाथ संस्कृत भाषा की पाण्डुलिपियों के लिये भी प्रसिद्ध है । डॉ. फरहा ने यहाँ की ३९५ पाण्डुलिपियों की सूची का संकलन किया जो संस्कृत भाषा के विभिन्न विषयों से सम्बन्धित हैं । इसका प्रकाशन भी वहीं से किया गया डॉ. फरहा का पाण्डुलिपि के क्षेत्र में प्रवेश प्रो. एस. आर. शर्मा के मार्गदर्शन में तथा इन्दिरा गान्धी राष्ट्रीय कला केन्द्र के द्वारा आयोजित कार्यशाला के माध्यम से हुआ है। इसी वर्ष जैसलमेर के प्राचीन जैन ग्रन्थ भण्डारों की सूची का प्रकाशन – A Catalogue of Manuscripts in the Jaiselamer Jain Bhandaras दिल्ली से हुआ । : पाण्डुलिपियों के सर्वेक्षण के क्षेत्र में स्व. प्रो. के. वी. शर्मा के योगदान को हमेशा स्मरण किया जायेगा विशेष रूप से तमिलनाडु एवं केरल में उपलब्ध आयुर्वेद, रसायनशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, वास्तु, गणित एवं खगोलविज्ञान आदि की पाण्डुलिपयों के अन्वेषण एवं सूचीकरण के लिये उनका प्रयास प्रशंसनीय है। इसकी एक सूची का प्रकाशन
२००२
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org