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प्रास्ताविक
जिस ताडपत्रीय हस्तप्रति से यहा पर प्रस्तुत 'सीयादेवि -रासु' का संपादन किया गया है उसका वर्णन इस प्रकार है :
स्थान एवं स्वरूप :
ला द विद्यामंदिर अहमदाबाद, उजमबाई भंडार नं. १७७४ । ५
नाप• ३९ x ५.
पंक्तिसंख्याः ५
अक्षरसंख्या ६६
छन्दसख्याः ७९
परिमाण आदिः पत्रसंख्या ८ (२९ क से ३६ ख )
दूसरी कति का
के
रूप में उत्पन
यह 'संबोधि' अक १ में प्रकाशित 'सीयाहरण -रासु' की जोड़ की कृति है । उसका रचनासमय भी ई स. १२०० के लगभग होने की अटकल है। एक ही ताडपत्रीय गुटके में दोनों संगृहीत हैं। प्रथम कृति में रामकथा का रावणवध पर्यन्त निरूपण है। अयोध्या में राम के पुनः प्रवेश से आरम्भ होता है और सीता के मरणोत्तर अभ्युतकल्प में इन्द्र होनेके साथ उसका अन्त होता है । दोनों कृतियों की भाषा, बहुत सा साम्य जान पडता है । इस तरह रचनादृष्टि से वे एकदूसरी की समकालीन होने की प्रबल सम्भावना है । तथापि 'सीयादेवी राम' में कर्तृण के विषय में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कोई भी निर्देश नहीं है । अन्तिम पंकि में निर्दिष्ट किये गये ऋषभ और प्रधुम्न कवि के आश्रयदाता बाग पडते हैं ।
शैली हत्यादि में
'सीयाहरण-रासु' और 'सीमादेवी -रासु' में छन्दोरचना के बारे में विभिन्नता है । 'सीयाहरण-रासु' के प्रत्येक छन्द में प्रथम दो चरण वदनक के और बाद में १२+१०+१२+१० मात्राओं की अन्तरसमा चतुष्पदी है । इस तरह पूरा छन्दका नाप इस प्रकार है :