Book Title: Sadhvi Vyakhyan Nirnay
Author(s): Manisagarsuri
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalay

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Page 6
________________ ( ६ ) ना उपदेशे थयेला सुन्दर कार्यों छापा सुधी पहोंची प्रकाशनमां आवी शकता नथी, कदाच कोई मोकलावे तो पत्रकारो प्रायः छापता नथी कचित छापे छे तो बहुत ट्रंकाणमां, आम होवाथी साध्वीजीओनी प्रवत्ति थी घणाओ अज्ञात रहे ए देखीतुं छे, साध्वीजीओ व्याख्यान नथी बांचता ए बात तो तप गच्छना साध्वीजीओ ने लक्षमां राखीनेज वरजीवनदास भाई ओ लख्यु हशे ए बात महदंशे साची छे, जीतविजयजी ना संघाड़ा ने बाद करतां, तपगच्छना अन्य साध्वीजीओ व्याख्यान नथी आपतां, तेनुं कारण ए के साध्वी श्री सूत्र न बंचाय, व्याख्यान न अपाय ने पुरुषों थी सांभलवा पण न जवाय, एटलुज नहीं पुरुषवर्ग साध्वी ओ पासे थी पञ्चबारा पण न ले, पवी मुनिपुंगवोनी आज्ञा होय छे, तपगच्छमां आवी प्रणालिका चाले छे, तेथी प्रभावशाली साध्वीओ दोवाकृतां बहार आवी शकती न थी, गामडाओमां चातुर्मास रही व्याख्यान द्वारा जे लाभ समाज ने मलवो जोइये, शासननी सेवा करवी जोइये ते थह शकती नथी, फर जियात साधुओ साथे चातुर्मास करवा, पड़े छे, जुहा चौमासा करवा अने सूत्र के व्याख्यान न पंचाय तो चार मासमां करेशुं । पटले ज्यां साधु होय त्यांचोमासुं करे, तो सूत्र ने व्याख्यान सांभतवानु थाय ने साधुओमा पात्रा रंगवानुं, ओघा बनाववानु अने कांबलीओ तथा पाठा वगेरे गुरु भक्ति कर्यानो लहावो लेवाय, महेसाणा मां १० ठाणा साधुओ हता, ने ४० ठाणासाध्वीओ हता, ज्यारे महेसाणानी माजु बाजू ना गामोमां कोई नु चोमासु नहोतुं, ज्यां १५-२० घरोनी रस्ती होय बे त्रण ठाणा साओिना चोमासुं होय तो समाज पर केवलो उपकार थई सके । महेशाला जेवा गांममां ज्यां भणावनार मास्तरोने-पंडितो होय त्यां आटला बधा ठाणानी शी जरूर इती ? तो एक महेसाणानी वात थई, पण बीजा शहेरोमां ए थी ये वधु छे पासेना गामडाओ साधु साध्वीओ माटे तलसता होय पण पेला बंधन ने कारणे गांमडा वालाओं लाभ न लई शके ने साध्वीभो व्याख्यान आपी न शके हवे ए प्रणालिका ने फेरववानी जरूर छे, । वरजीवन भाई साध्वीश्रोना ज्ञाननो लाभ समाज ने अपाववो होय, धर्मनो प्रचार करवो होय तो पहेलां आपणा गुरुदेवो ने विनववा पड़शे । तेभो श्रीनी श्राज्ञा छूटशे तो साध्वीओ सहर्ष शिरसावंद्य करी सरसरीते कार्य करशे पण गुरूदेवोनी आज्ञा विना पोता नी मैले कांई करशे नहीं, कारण एम करवां जतां 'आज्ञा बहार' ना फरमानो छूटे ने ते थी विचरवानुं पण मुश्केल थई पड़े, पूज्य आचार्यो के श्री संघ नीचे प्रमाणे करे तो समाज ने जरूर वधु पडतो लाभ मले १ - ज्यां साधु चोमसुं रहे त्यां साध्वीजी ए न रहे वुं । २ -- एक गाममा १० ठाणा बघु ठाणा चोमासु न रही शके, अहमदाबाद के मुंबई जेवा शहेर मां २५ ठाणा श्री Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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