Book Title: Sadhvi Vyakhyan Nirnay
Author(s): Manisagarsuri
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalay

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Page 34
________________ २२ साध्वी व्याख्यान निर्णयः साध्वियों को भी व्याख्यान बांचने का समान अधिकार बतलाया है, उन्होंके पांच प्रमाण ऊपर में बतला दिये गये हैं। इसलिए श्रीहरिभद्रसूरिजी का और याकिनी महत्तरा का नाम लेकर साध्वी को व्याख्यान बांचने का निषेध करने वाले बड़ी भूल करते हैं। .... ३५-श्री जयतिलकसूरिजी महाराज का बनाया हुआ श्री “ महाबल मलयसुंदरी - चरित्र" जो कि जामनगर से प्रकाशित हुआ है। उसके पृष्ठ १९२-१९३ में ऐसा पाठ है इतश्चामलचारित्रा साध्वी मलयसंदरी। एकादशांगतत्वज्ञा प्रतिबोधपरायणा ॥ ८४॥ तप्यमाना तपस्तीवं कर्म-मर्म द्विदोद्यता । । क्रमोत्पन्नावधिज्ञाना गुरुणिः श्रीमहत्तरा ॥ ८५।। सत्संदेह समांसीह जघाना प्रभेवसा । - वित्रस्तकुनयोलूका भव्यांभोज प्रयोधिका ।। ८६ ॥ महाबल मुनेत्विा निर्वाणं तनयं निजं । प्रबोधयितुमायाता पुरे तत्र महत्तरा ।। ८७॥ वसतावुचितायों मा स्थिता साध्वी समन्विता। राज्ञाशतयलेनैत्य महाभक्त्या च वंदिता ॥ ८८ ॥ आलापितो महाराजः प्रसन्नतनया तया। गिरा मधुरया, श्रोत श्रवणामृत तुल्यया ।। ८९॥ पिता तच नराधीश महासत्त्व शिरोमणिः । उपसर्गास्रियास्तस्या-प्रपेदे शिवसंपदं ॥९॥ सर्व पुत्र कलत्रादि त्यज्यते यस्य हेतवे।. .... सत्य च महादुःखं तपोलोचक्रियादिकं ॥९१॥ दुर्लभं यदि तत्प्राप्तं स्थानं शाश्वतमुत्तमं ।। त्यक्तों भवश्व पित्राते शोकोऽद्यपि ततःकथं ॥१२॥ महानिधानमाप्नोति यद्यभीष्टो जनो निजः । विजृम्भते महाशोको वदं किंवा महोत्सवः ॥ ९३ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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