Book Title: Sadhvi Vyakhyan Nirnay
Author(s): Manisagarsuri
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 59
________________ साध्वी व्याख्यान निर्णयः ४७ श्रीमान् शानसुन्दरजी म० आदि योग्य अनुवंदना वंदना सुखसाता बंचना, और हम अजमेर तीन दिन ठहर कर जयपुर आगये थे, यहां पर आये बाद तबियत की गड़बड़ी रही इस वास्ते पत्र में विलंब हुआ, हमने अजमेर में आपके कहे अनुसार श्रावकों से वार्तालाप किया और जोधपुर से भी सलाह मंगाई सब का सार यह है कि-जमाना शान्ति और संप का है, दोनों तरफ से विरोध न बढ़ना चाहिये, इसलिये न्याय की और हित की दृष्टि से वे लोग भी इस लेख को सुधारले । और आपने जो जो इस गच्छ के समुदाय के विरुद्ध लेख निकाले हैं उनको आप भी वापिस ले लें, ऐसी बहुत लोगों की इच्छा है इसी में ही समाज का भला है। और साध्वी व्याख्यान बावत आपका और मेरा व्यक्तिगत विवाद है, इसलिये आपने कापरड़ाजी में लेख भेजने का मंजूर किया था, उस मुजब आप लेख भेज देना, उस पर मैं भी मेरा लेख भेज दूगा, और १२ ट्रेक्ट भेजने का कहा था सो सब की २-२ कापी भेज देना । दः विनयसागर।। १- अब आपसे मेरा यही कहना है कि-साध्वी व्याख्यान का विषय आपके और मेरे बीच में व्यक्तिगत है जब आपने मेरे उपर लेख छपवाया वो उसी समय आपको मेरे पास भेज देना था यही न्याय की बात है, परन्तु जिस पर भी मैंने भंगवाया तो भी आपने आज तक नहीं भेजा। जिसके उपर लेख छपवानाउसको न भेजना, यह आप अपनी कमजोरी साबित करता है, इसलिये यह जाहिर सूचना करता हूकि-बिना विलंब वो लेख भेज दें, उसका प्रत्युत्तर देने को तैयार हूं। २-आपने अपने नाम से या आपके अनुयायी भक्तों के नाम से खरतर गच्छ के विरुद्ध जितने ट्रेक्ट आपके द्वारा निकाले गये हैं वो सब भेजने में देरी न करें. मैं आपको कापरड़ाजी में साफ कर चुका हूं कि-जो जो व्यक्तिगत निन्दनीय घ्रणित और आक्षेप वाले आपके लेखों का जवाब मैं नहीं दूंगा। और आपके उपर वैसे आक्षेप भी न करूंगा सिर्फ शास्त्रीय प्रमाणानुसार युक्ति पूर्वक उत्तर दूंगा ट्रेक्ट भेजें। ३-इस पत्र के पहुंचने पर पन्द्रह दिन के अन्दर आप लेख व ट्रेक्ट भेजने में बिलंब न करें उपर लेख विज्ञापन के रूप में व जाहिर पत्रों में छपवाने का विचार किया था, पर आपकी मित्रता के कारण न छपवा के पहले आपको भेजा है। ___ ४-विशेष सूचना यह भी आपको कह देना उचित समझता हूं कि-आगे से किसी अन्य व्यक्ति के नाम से कोई भी लेख इस विषय का प्रकाशित न करावें, ऐसान करने पर सभ्य समाज में क्लेश फैलाने से आपकी मायाचारी व कमजोरी साबित होती है, यह मैंने हित बुद्धि से आपको इतनी सूचना की है। शुभम् २६-४-४२ प्र. पं० मुनि मणिसागर व कलम विनयसागर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64