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साध्वी व्याख्यान निर्णयः
॥ श्री॥ मणिमागर विनयसागर-जयपुर
ज्येष्ठ सु०४ संवत् १९९९ श्रीमान्-शानसुन्दरजी आदि योग्य अनुवंदना वंदना सुखसाता के साथ विदित हो कि-आपका पत्र मिला समाचार जाने, आपने आज तक खरतरोत्पत्ति भाग १-२-३-४ आदि १५-२० ट्रेक्ट निकाले सुने जाते हैं उन्हीं ट्रेक्टों को मैंने आपसे कापरडाजी तीर्थ में मांगे थे, आपने उन सब ट्रेक्टों को भेजना मंजूर किया था मगर अफसोस है कि-आपने अभी तक उन सब ट्रेक्टों को नहीं मेजे और अब भी भेजने में टाल टूल करते हैं इससे आपकी कमजोरी साबित होती है और आपका यह सर्वथा अन्याय है।
१-अगर आप सत्य लिखते होतो खरतरोत्पत्ति भाग १-२-३-४ आदि अन्य देक्ट जोधपुर बीकानेर फलौदी में कौनर से खरतर गच्छ के साधु तथा श्रावकों को भेजे उन्हों का नाम बताओ, अन्यथा आप अपना मिथ्या लेख वापिस लो।
२-अजमेर की दादाबाड़ी के लेख के सम्बन्ध में मैंने आपको फलौदी पत्र दिया था तथा पहले पत्र के साथ नकल भी भेज चुका हूं, उस न्याय के मार्ग को आप अंगीकार करते नहीं हैं यह भी उचित नहीं है।
३-साध्वी व्याख्यान बाबत मेरा लेख “जैन ध्वज" में प्रकाशित हो चुका है। उसका जवाब आपने करीबन बारह महीने पहिले छपा दिया ता भी अभी तक आपने मेरे पास नहीं मेजा आपकी कितनी भारी कमजोरी है, जब मैं कापरडाजी तीर्थ में मेरे और आपके यह बात तय हो चुकी थी, आपने मंजूर किया कि-जो लेख मेरा छपने को गया है. उसको नहीं छपवाऊंगा, प्रेस में से दो प्रूफ मंगा कर एक आपको दूंगा, उस पर मैंने भी आपसे वायदा किया था कि मैं भी मेरा लेख किताब रूप में न छपा कर सब पूरा लेख आपके पास मेज दूंगा। और अपने आपस में पत्र व्यवहार से समाधान किये बाद किताब छपवाई जायगी इस नियम को आप भंग कर के आपने पहले किताब छपवादी अब भी आप मेरे पास भेज. दीजिये, उस पर मैं भी मेरा लेख मेजने को तैयार हूं।
४-अब आपसे मेरा आग्रह पूर्वक यही कहना है कि यदि आपको न्याय मार्ग प्रिय हो सत्य अंगीकार करना चाहो तो “वितंडावाद" "शुष्क विवाद' कीबातों में व्यर्थ समय न गमा कर न्याय मार्ग से धर्मवाद करने की इच्छा हो और समाज में सत्य प्रचार की भावना होतो अपने वायदे के अनुसार साध्वी व्याख्यान का ट्रेक्ट तथा खरतरोत्पत्ति भाग १-२.३-४ तथा अन्य सब ट्रेक्ट जल्दी से भेजदो, मैं मेरे वायदे के अनुसार लेख मेजने को तैयार हूं। ५-कापरड़ाजी में जो ट्रेक्ट आपने दियाथा, वहही व्यर्थ बुकपोस्ट से मेजा दूसरा मेजते।
शुभम्
मुनि मणिसागर विनयसागर
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