Book Title: Sadhvi Vyakhyan Nirnay
Author(s): Manisagarsuri
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ सुशोमित किया, सबने पंचांग नमस्कार किया, और धर्मदेशना सुनने को बैठे, तब केवली साध्वीने 'स्वर्णवर्ण वितर्दिकः' अर्थात्-कनक के वर्ण जैसी देदीप्यमान वेदिका के ऊपर उञ्चासन पर बैठ कर दान शील तप भाव रूप चार प्रकार के धर्म का स्वरूप वाली विस्तार से धर्मदेशना दी, तथा अपने ही पूर्वकृत कर्मों की विचित्रता बतलायी. शुभाशुभ कर्मों का फल और संसार की भसारता दिखलायी, जिसको सुनकर राजा आदि सभा को प्रतिबोध हुआ, उसके बाद राजा ने अपने राज कुमार को राज्यासन पर बैठाकर अठाई महोत्सव पूर्वक मंत्री आदि के साथ श्राचार्य महाराज के पास में दीक्षा ग्रहण की । ___ श्री हरिभद्र सूरिजी महाराज का बनाया हुआ 'प्राकृत समरादित्य केवली चरित्र' जो कि "समराइच कहा" नाम से प्रसिद्ध है। प्राचीन और सर्व मान्य है उसमें उपरोक्त अधिकार आया है, इसके अनुसार संक्षिप्त समरादित्य चरित्र"तथा"रास" बनाया है उसमें साध्वी को केवल ज्ञान उत्पन्न होने पर देवताओं ने महोत्सव किया, देव विद्याधर राजा आदि मनुष्यों की पर्षदा मिली, साध्वो को सब ने पंचांग नमस्कार किया, देशना सुन कर राजादि ने प्रतिबोध पाकर दीक्षा लेने का खुलासा लिखा है। इसी प्रकार अन्य सामान्य साध्वियों के विषय में भी पुरुषों की सभा में धर्मोपदेश देने का अधिकार जैन शास्त्र रूपी समुद्र में पाठकों को अनेक जगह देखने को मिल सकेगा। यह ग्रन्थ पूरा पढ़ने का प्रयत्न करें। ___ जब साध्वी के पास धर्म देशना सुनने को देवता और राजादि बड़े पुरुष आते हैं तय विनय धर्म की मर्यादा रखने के लिये और श्रोताओं को अच्छी तरह प्रतिबोध होने के लिये साध्वी को बैठने का उच्चासन होना आवश्यक होजाता है। अतः साध्वी को पाट पर बैठ कर देशना देने में शंका लाने वालों को यह बात दीर्घ दृष्टिले गंभीरता पूर्वक विचार करने योग्य है। और देवताओं के साथ देवी, विद्याधरों के साथ विद्याधरी, राजा आदि मनुष्यों के साथ राणी प्रादि स्त्रियों धार्मिक देशना के अवसर में गुरु वंदनार्थ स्वभाविक साथ में जाती हैं, यह प्रसिद्ध बात है। तथा देशना की सभा में लौकिक व्यवहार और धार्मिक मर्यादा का पूरा विवेक रखा जाता है, अतः सभा में पुरुषों को आगे बैठना और स्त्रियों को पीछे बैठना स्वभाविक ही सिद्ध है। उपरोक्त शास्त्रीय प्रमाण भी यही बात सिद्ध करते हैं। कई महाशय साध्वी के व्याख्यान में स्त्रियों को आगे और पुरुषों को पीछे बैठाने की बात करते हैं उन्होंका समाधान ऊपर के लेख से स्वयं हो जाता है। निवेदकः सूरि शिष्य मुनि-विनय सागर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64