Book Title: Sadhvi Vyakhyan Nirnay
Author(s): Manisagarsuri
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalay

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Page 18
________________ साध्वी व्याख्यान निर्णयः सिद्ध पंचाशिकावचूर्णि ग्रन्थ में प्रथम पेज पर ऐसा पाठ है। “बुद्धद्वारे प्रत्येकबुद्धानां दशकं एकसमयेन सिध्यन्ति । बुद्धयोधितानां पुरुषाणामष्टशतं । बुद्धबोधितानां स्त्रीणां विंशतिः । नपुंसकानां दशकं । बुद्धिभिर्कोधितानां स्त्रीणां विंशतिः एक समयेन सिध्यन्ति । बुद्धिभिर्बोधितानामेव सामान्यतः पुरुषादीनां विंशतिपृथक्त्वं । बुद्धी च मल्लिस्वामी प्रभृतिका तीर्थकरी सामान्यसाळ्यादिका चा" । ___अर्थ-बुद्धद्वार में प्रत्येक बुख मुनियों से प्रतिबोध पाए हुए दस जीव एक समय में सिद्ध होते हैं । बुद्धबोधित साधुओं से प्रतिबोध पाये हुए १०८ पुरुष एक समय में सिद्ध होते हैं । बुद्धबोधितों से प्रतिबोध पाई हुई २० स्त्रियां एक समय में सिद्ध होती हैं। इसी प्रकार दस नपुंसक भी सिद्ध पद पाते हैं । बुद्धिभिः-अर्थात्-साध्वियों से प्रतिबोध पाई हुई बीस स्त्रियां एक समय में सिद्ध होती हैं तथा साध्वियों से प्रतिबोध पाये हुए बीस से अधिक पुरुष एक समय में सिद्ध होते हैं । यहां बुद्धि शब्द में मल्लि आदि स्त्री तीर्थकरी और अन्य सामान्य साध्वियों से प्रतिबोध पाये हुए जीव सिद्ध होते हैं। "श्री नन्दीसूत्र की टीका जो कि आगमोदय समिति से प्रकाशित हुई है पृष्ठ ११९ में ऐसा पाठ है: ___ "बुद्धद्वारे प्रत्येकबुद्धानां दशकं, बुद्धपोधितानां पुरुषाणामष्टशतं, बुद्धबोधितानां स्त्रीणां विंशतिः, नपुंसकानां दशकं, बुद्धीभिर्बोधितानां स्त्रीणां विंशतिः, बुद्धीभिर्बोधितानामेव सामान्यतः पुरुषादीनां विंशतिपृथक्त्वं । उक्तं च सिद्धप्रामृत टीकायां "बुद्धीहि चेव षोहियाणां पुरिसाईणं सामनेण बीसपुहुत्तं सिज्झइ ति।" बुद्धी च मल्लिस्वामिनीप्रभृतिका तीर्थकरी सामान्यसाध्व्यादिका वा वेदितव्या । यतः सिद्धप्राभृतटीकायामेवाक्तबुद्धीओवि मल्लिपमुहाओ अन्नाओ य सामन्नसाहुणीपमुहाओ बोहंतित्ति।" ___ अर्थ-नन्दीसूत्र के इस पाठ से सिद्ध होता है कि प्रत्येक बुद्धों के उपदेश से प्रतिबोध पाये हए एक समय में दस जीव सिद्ध होते हैं । बुद्धबोधितों से उपदेश पाये हुए एक सो आठ पुरुष, बीस त्रियां और दस नपुंसक सिद्ध होते हैं उस ही प्रकार साध्वियों से प्रतिबोध पाई हुई बीस त्रियां सिद्ध होती है तथा पुरुष आदि बीस से अधिक सिद्ध होते हैं । बुद्धि अर्थात्-साध्वियों में श्री मल्लीनाथ स्वामी आदि स्त्री तीर्थकरी तथा अन्य सामान्य साध्वियों का ग्रहण किया गया है। ९-सिद्ध प्राभृत ग्रंथ में जो कि सम्वत् १९७७ में आत्मानन्द सभा भावनगर से Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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